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दुमका जेल में सजायाफ्ता बबलू श्रीवास्तव की मौत

हत्या मामले में काट रहा था आजीवन कारावास की सजा रांची : दुमका सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बबलू श्रीवास्तव उर्फ अश्विनी श्रीवास्तव की गुरुवार की देर रात इलाज के क्रम में सदर अस्पताल में मौत हो गयी. 55 वर्षीय बबलू श्रीवास्तव की सेहत रात के 10 बजे के बाद अचानक […]

हत्या मामले में काट रहा था आजीवन कारावास की सजा
रांची : दुमका सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बबलू श्रीवास्तव उर्फ अश्विनी श्रीवास्तव की गुरुवार की देर रात इलाज के क्रम में सदर अस्पताल में मौत हो गयी. 55 वर्षीय बबलू श्रीवास्तव की सेहत रात के 10 बजे के बाद अचानक बिगड़ गयी, जिसके बाद उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां रात में उसकी मौत हो गयी. बताया जाता है कि हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई है.
दुमका सेंट्रल जेल के जेल सुपरिटेंडेट भगीरथ कार्जी ने बताया कि बबलू श्रीवास्तव हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. उसे 2015 में रांची से प्रशासनिक दृष्टिकोण से दुमका सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था. बबलू डायबिटिज और हाइपरटेंशन का मरीज था.
उसका इन बीमारियों से संबंधित इलाज भी चल रहा था. बबलू श्रीवास्तव मूल रूप से रांची के हटिया थाना क्षेत्र के धुर्वा पानी टंकी इलाके का रहनेवाला था. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ दिलीप केशरी ने बताया कि मेडिकल बोर्ड गठित कर उसका इलाज किया जा रहा था. उसके शव के पोस्टमार्टम के लिए तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड गठित की गयी है, जिसमें डॉ एसपी गावस्कर, डॉ कुमार अभय प्रसाद एवं डॉ एनके झा शामिल हैं. बबलू की मौत की जानकारी उसके परिजनों को दे दी गयी है.
रांची में अनिल शर्मा गिरोह के लिए काम करता था बबलू
अनिल शर्मा ने अपने गिरोह के सदस्यों के साथ मिल कर 22 जनवरी 1999 को जेल के अंदर ही भोमा सिंह की हत्या कर दी थी. भोमा सिंह भी अपराधी था. वह भी जेल में बंद था.
वह अनिल शर्मा के विरोधी सुरेंद्र बंगाली के लिए काम करता था. हत्याकांड के पीछे यह बात सामने आयी थी कि तब जेल गेट पर शर्मा गिरोह से जुड़े एक अपराधी की हत्या की कोशिश हुई थी. इसी का बदला लेने और सुरेंद्र बंगाली से पुरानी दुश्मनी के चलते उसकी हत्या कर दी गयी थी.
घटना के तत्काल बाद भोमा सिंह के बचे होने की आस में जेल कर्मी उसे लेकर रिम्स जाने लगे, लेकिन बीच रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी. इसी केस में बबलू श्रीवास्तव का नाम भी हत्या करने में अनिल शर्मा के सहयोगी के रूप में सामने आया था. केस के अनुसंधान में उसकी संलिप्तता को सही पाया गया था. इस केस में बबलू श्रीवास्तव को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.

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