रांची. विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी के चेयरमैन पंचम सिंह का कहना है कि कोडरमा की केशो जलाशय परियोजना में गबन नहीं हुआ है. परियोजना का काम एकरारनामा की शर्त के अनुसार हुआ है़ इसमें किसी तरह का गबन नहीं हुआ है, बल्कि जो भुगतान हुआ है वह अग्रिम भुगतान की श्रेणी में आता है़ ऐसे सभी अग्रिम भुगतान का समायोजन अंतिम बिल में होना है़ ऐसे में जो भी कार्य हुए हैं, उसके नुकसान को नजरअंदाज कर उसे अधिक भुगतान मान लेना अनुचित है.
उन्होंने कहा कि पूर्व में विभाग ने योजना के विरुद्ध 24़ 39 करोड़ रुपये के अधिक भुगतान को अनुचित मानते हुए कंपनी को डिबार करने का आदेश निर्गत किया था़ उक्त डिबार आदेश पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गयी है़ जांच समितियों के प्रथम आकलन 24़ 39 करोड़ रुपये व द्वितीय आकलन 12: 50 करोड़ में भारी विरोधाभास है़ श्री सिंह ने कहा है कि रैयतों के विरुद्ध व खराब विधि व्यवस्था के बीच किसी तरह कार्य प्रारंभ कराया गया़.
मार्च 2007 से सितंबर 2009 के बीच भारी अनुपयोगी और अनुत्पादक खर्च के साथ कार्य बंदी का सामना करना पड़ा और 70 प्रतिशत कार्य पूरा कराया गया़ विभाग जब भी भू-स्वामियों को मुआवजा पुनरीक्षण का आश्वासन देता था, तब कार्य शुरू होता था, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद काम रुकवा दिया जाता था़ इससे कंपनी को अनावश्यक खर्च का भार सहना पड़ता था़