रांची: कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किये गये झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 में फीस बढ़ाने के मसले पर फीस निर्धारण समिति को निर्णय करने की शक्ति प्रदान की गयी है. स्कूलों में 10 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि पर उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला समिति अंतिम रूप से फैसला करेगी. जिला समिति निर्धारित […]
रांची: कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किये गये झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 में फीस बढ़ाने के मसले पर फीस निर्धारण समिति को निर्णय करने की शक्ति प्रदान की गयी है. स्कूलों में 10 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि पर उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला समिति अंतिम रूप से फैसला करेगी. जिला समिति निर्धारित फीस से अधिक लेने पर अर्थ दंड लगायेगी और स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जायेगी. इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र मेें विधेयक के रूप में पेश किया जायेगा.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तैयार विधेयक में स्कूलों में फीस निर्धारित करने के लिए एक समिति के गठन का प्रावधान किया गया है. इसके तहत हर स्कूल में एक फीस समिति होगी. इसमें अध्यक्ष सहित नौ सदस्य होंगे. निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा मनोनीत व्यक्ति समिति का अध्यक्ष होगा.
स्कूल के प्राचार्य समिति के सदस्य सचिव होंगे. स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा तीन शिक्षकों को समिति के सदस्य के रूप में मनोनीत किया जायेगा. शिक्षक संघ द्वारा नामित चार माता-पिता फीस निर्धारण समिति के सदस्य होंगे. समिति का कार्यकाल तीन शैक्षणिक सत्र के लिए होगा. स्कूल प्रबंध समिति एक सप्ताह पहले फीस निर्धारण से संबंधित एजेंडा उपलब्ध करायेगी. इसके बाद फीस निर्धारण समिति स्कूल की स्थिति, बेहतर शिक्षा के लिए संरचना, प्रशासन और रखरखाव पर खर्च, शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन, वार्षिक वेतन वृद्धि जैसे बिंदुओं पर विचार करते हुए फीस तय करेगी.
अपील कर सकता है स्कूल प्रबंधन
जिला स्तरीय समिति के फैसले से असंतुष्ट होने पर स्कूल प्रबंधन राज्य शिक्षा न्यायाधिकरण में अपील कर सकेगा. निर्धारित फीस से अधिक लेने पर पहली बार स्कूल पर 2.5 लाख तक दंड लगाया जा सकेगा. दूसरी बार एेसा करने पर अर्थ दंड के अलावा स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई होगी.
तय फीस तीन शैक्षणिक सत्र के लिए मान्य होगी
फीस में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने पर इसे उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति के पास भेजा जायेगा. जिला स्तरीय समिति मामले की जांच के बाद फीस बढ़ोतरी पर फैसला करेगी. इस समिति द्वारा निर्धारित फीस तीन शैक्षणिक सत्र के लिए मान्य होगी.