बोर्ड अध्यक्ष संजय सेठ ने कहा कि लगभग चार महीने पहले प्रधानमंत्री ने मीठी क्रांति (शहद उत्पादन) का आह्वान किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इस मामले में गंभीर हुए अौर उनके नेतृत्व में हुई बैठकों में झारखंड में शहद उत्पादन को बढ़ाने अौर इसके जरिये स्वरोजगार उपलब्ध कराने पर विचार किया गया है.
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले वह तथा बोर्ड के सदस्यों ने एशिया के सबसे बड़े मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण केंद्र पुणे का दौरा किया. इसके अलावा महाबालेश्वर, मैसूर अौर बेंगलुरु भी गये. पुणे से मधुमक्खी पालन मामलों के एक्सपर्ट आकर यहां लोगों को प्रशिक्षण देंगे. रांची में एक लैब टेस्टिंग केंद्र भी बनेगा. संजय सेठ ने कहा कि झारखंड की जलवायु अौर परिस्थितियां मधुमक्खी पालन के लिए सबसे उपयुक्त है. यहां नीम, करंज, लीची तथा कई तरह के फूल पनपते हैं. इस वजह से मधुमक्खी पालन के जरिये लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है.