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राजनीति से मुक्त स्वायत्त शिक्षा की जरूरत

अभाविप. अधिवेशन में तीन प्रस्तावों पर चर्चा, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद ने कहा रांची : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद मराठी ने कहा कि मौजूदा दौर में राजनीति से मुक्त स्वायत्त शिक्षा की जरूरत है. शिक्षा तंत्र को स्वायत्त करें, तभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. हालांकि यह आसान नहीं है, […]

अभाविप. अधिवेशन में तीन प्रस्तावों पर चर्चा, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद ने कहा
रांची : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद मराठी ने कहा कि मौजूदा दौर में राजनीति से मुक्त स्वायत्त शिक्षा की जरूरत है. शिक्षा तंत्र को स्वायत्त करें, तभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. हालांकि यह आसान नहीं है, लेकिन इसकी आवश्यकता है, तभी शिक्षा के क्षेत्र में विकास होगा.
उन्होंने कहा कि शिक्षा को देश की भाषा से जोड़ना होगा. भाषा केवल संवाद का माध्यम न हो. धर्म के साथ शिक्षा को जोड़ने की जरूरत है. धर्म शिक्षा से ही संभव है कि समाज के हित के लिए कार्यशैली को बदलें. जरूरत है कि शिक्षकों के सम्मान को बढ़ावा दें. वहीं शिक्षकों की भूमिका व गुणवत्ता का भी निर्धारण हो. प्रो मिलिंद शुक्रवार को मोरहाबादी में आयोजित अभाविप के 63वें वार्षिक अधिवेशन में ‘शिक्षा परिवर्तन की कल्पनाएं’ विषय पर बोल रहे थे.
बदल रही है 21वीं सदी की शिक्षा : प्रो मिलिंद ने कहा कि संगठन से शिक्षा की परिकल्पना को बढ़ाना होगा. परिवार में शिक्षा-परिवार से शिक्षा, पर काम किया जा सकता है. आज परिवार से शिक्षा कम हो रही है, इसे हमें बढ़ानी होगी. 21वीं सदी की शिक्षा बदल रही है. विद्यार्थियों में सेल्फ लर्निंग की क्षमता मर रही है. उन्होंने कहा कि खेल, कला आदि को कोई भी अपना 100 फीसदी देता है. इसे सह पाठ्यक्रम नहीं माना जा सकता है. इसे मेन स्ट्रीम में शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज का भी दायित्व है. उन्होंने क्राउड फंडिंग पर भी जोर दिया. शिक्षा में शासन की मान्यता के बारे में विस्तार से बातें रखी.
अलग-अलग राज्यों से आये हैं प्रतिनिधि
अधिवेशन में चर्चा के लिए तीन प्रस्ताव प्रतिनिधियों के सामने रखे गये. राष्ट्रीय महामंत्री आशीष चौहान ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का प्रस्ताव रखा. राष्ट्रीय मंत्री कुछराम ने जनजातीय समाज विकास के प्रति प्रतिबद्ध विषय पर चर्चा की. राष्ट्रीय मंत्री किशोर वर्मन ने ‘सेना के स्वयं से आंतरिक और बाह्य रूप से सुरक्षित होता भारत’ विषय प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चा के लिए रखा. अधिवेशन में परिषद के कई पदाधिकारियों के साथ ही अलग-अलग राज्यों से आये प्रतिनिधि शामिल हुए.

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