विभाग को भी इसकी सूचना दी गयी थी. विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया तो शुरू की गयी, लेकिन प्राथमिकी की अनुमति नहीं मिली. इसी बीच संबंधित रेंजर सेवानिवृत्त हो गये. सिमडेगा के डीएफओ ने सीएफ को लिखा है कि एक दिसंबर 2016 को उपायुक्त ने पूछा था कि किस परिस्थिति में 500 और एक हजार के पुराने नोट बांट दिये गये, जबकि यह नोट आठ नवंबर से प्रतिबंधित था. इस मामले में उपायुक्त को समय सीमा के अंदर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. इस मामले की विस्तृत जांच का आदेश उपायुक्त ने दिया था. उपायुक्त ने मजदूरी के रूप में मुद्रा का नकद भुगतान करने वाले दोषी, जिम्मेदार पदाधिकारी या कर्मी पर स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था.
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नोटबंदी के दौरान मजदूरों को बांट दिये पुराने 500 और हजार के नोट
रांची : सिमडेगा जिले के कुरडेग के वन क्षेत्र पदाधिकारी ने नोटबंदी के दौरान मजदूरों के बीच अवैध घोषित नोट बांट दिया था. यह नोट केरसई प्रखंड के बढ़नीजोर ग्राम के मालसाड़ा प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट में पौधारोपण में लगाये गये मजदूरों को बांटा गया था. मजदूरी का भुगतान 500 और एक हजार के नोट में किया […]
रांची : सिमडेगा जिले के कुरडेग के वन क्षेत्र पदाधिकारी ने नोटबंदी के दौरान मजदूरों के बीच अवैध घोषित नोट बांट दिया था. यह नोट केरसई प्रखंड के बढ़नीजोर ग्राम के मालसाड़ा प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट में पौधारोपण में लगाये गये मजदूरों को बांटा गया था. मजदूरी का भुगतान 500 और एक हजार के नोट में किया गया था. सिमडेगा के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने गुमला प्रादेशिक अंचल के वन संरक्षक को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया था.
बढ़नीजोर में भी मजदूरों को बांटे गये 14 लाख
सिमडेगा जिले के ही केरसई प्रखंड के बढनीजोर में भी मजदूरी की अवैध राशि बांट दी गयी थी. इसकी शिकायत भी विभाग से की गयी. बांटनेवाले रेंजर पीके लाल दास रिटायर भी हो गये. श्री दास पर विभागीय कार्यवाही शुरू की गयी है. श्री दास पर चार माह का मजदूरी 500 और एक हजार के पुराने नोटों को बांट देने का आरोप है. श्री दास द्वारा ही इसी प्रखंड के मालसाडा पीएफ में कैम्पा योजना के तहत कराये गये पौधारोपण के मजदूरी भुगतान के लिए सितंबर 2016 में करीब 14 लाख रुपये अग्रिम के रूप में दी गयी थी. विभागीय कार्यवाही में यह पूछा गया है कि जब अग्रिम के रूप में 14 लाख दी गयी थी, तो मजदूरों को देर से राशि का नकद भुगतान किस स्थिति में किया गया.
मैंने पूरे मामले से वरीय अधिकारियों को अवगत करा दिया था. साथ ही प्राथमिकी की अनुमति मांगी गयी थी. लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण अब तक आरोपी पर प्राथमिकी नहीं हो पायी.
ताजवीर भगत, डीएफओ, सिमडेगा
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