कोल इंडिया : ई-4 स्तर के अधिकारियों का वेतन कर्मियों से होगा कम
मनोज सिंह
रांची : इंट बाइपरटाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ)-10 में कर्मचारियों को मिली वेतन वृद्धि से अधिकारियों में नाराजगी है. अधिकारियों ने इससे कोल इंडिया को अवगत कराया है. उन्होंने वेतन विसंगति दूर करने का आग्रह कंपनी से किया है. कहा है कि ऐसा नहीं होने पर आंदोलन भी हो सकता है.
जेबीसीसीआइ की बैठक में समझौते के तहत कोल इंडिया के कर्मचारियों को करीब 20 फीसदी वृद्धि दी गयी है. कर्मचारियों का समझौता पांच साल के लिए होता है. वहीं, अधिकारियों को 10 फीसदी वेतन वृद्धि की अनुशंसा पब्लिक सेक्टर इंटर प्राइजेज ने की है. अधिकारियों को नया वेतनमान 10 साल के बाद मिलता है. अब अधिकारियों का नया वेतनमान 2027 में मिलेगा. कर्मचारियों को 11वां वेतन समझौता फिर 2022 में हो जायेगा. इससे वेतन विसंगति और बढ़ने की उम्मीद है. कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन (सीएमओएआइ) एपेक्स ने कोल इंडिया प्रबंधन को पत्र लिखकर इस विसंगति को दूर करने का आग्रह किया है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष वीपी सिंह ने पत्र में कहा है कि इससे अधिकारियों में असंतोष है. इस असंतोष दूर करने के लिए अधिकारियों और ऑफिसर्स एसोसिएशन के सदस्यों की एक कमेटी बनानी चाहिए. इससे विसंगति दूर करने में मदद मिल सकेगी. एसोसिएशन ने कोल इंडिया के अधिकारियों को ओएनजीसी की तर्ज पर वेतनमान देने की मांग की है. इससे विसंगति को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है.
सीनियर पीए का वेतनमान ई-4 ग्रेड के अधिकारियों से अधिक हो गया
नये वेतन समझौते के बाद ए-1 रैंक के कर्मचारियों का वेतनमान (बेसिक) 75 हजार रुपये के आसपास हो गया है. वहीं, 2011-12 में योगदान करनेवाले अधिकारियों (ई-4, सीनियर मैनेजर) का बेसिक 50 हजार के आसपास ही है. किसी-किसी कंपनी में फोरमैन इंचार्ज का बेसिक 91 हजार हो गया है.
सोशल मीडिया पर हो रहा विरोध
वेतन विसंगति का विरोध नये अधिकारी सोशल मीडिया पर ज्यादा कर रहे हैं. ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि करीब 11 हजार से अधिक कोल इंडिया के अफसर वेतन समझौते के कारण होने वाली विसंगति के शिकार होंगे. इसमें कई अधिकारी बड़े-बड़े तकनीकी संस्थानों से पढ़ाई कर कोल इंडिया में नौकरी कर रहे हैं.
कर्मचारियों के वर्तमान वेतन समझौते के
बाद विसंगति ज्यादा हो गयी है. इसका दूर करने की कोशिश होनी चाहिए. इससे अधिकारियों के एक बड़े वर्ग में नाराजगी है. इसका असर कोल इंडिया के कामकाज पर भी पड़ सकता है. एसोसिएशन ने अपनी भावना से अवगत करा दिया है. प्रबंधन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन भी करना पड़ सकता है.
सौरव दुबे, उपाध्यक्ष, सीएमओएआइ