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झारखंड में पॉलिथीन बैन : दुकानों में लगे हैं बैन के पोस्टर, पर अब भी लोग मांग रहे हैं प्लास्टिक का कैरी बैग
नगर निगम ने तेज किया छापेमारी अभियान, लेकिन कई लोग अब भी नहीं हुए जागरूक पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने का असर राजधानी में दिखने लगा है. सब्जी दुकानों से लेकर दवा दुकानों, राशन दुकानों और मीट-मुर्गे की दुकानों तक में कपड़े के थैला का इस्तेमाल शुरू हो गया है. हालांकि, कई दुकानदार अब […]
नगर निगम ने तेज किया छापेमारी अभियान, लेकिन कई लोग अब भी नहीं हुए जागरूक
पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने का असर राजधानी में दिखने लगा है. सब्जी दुकानों से लेकर दवा दुकानों, राशन दुकानों और मीट-मुर्गे की दुकानों तक में कपड़े के थैला का इस्तेमाल शुरू हो गया है. हालांकि, कई दुकानदार अब भी चोरी-छुपे पॉलिथीन का उपयाेग कर रहे हैं. वहीं, कई दुकानों पर पॉलिथीन बैन का पोस्टर लगे होने के बाद भी लोग दुकानदारों पर पॉलिथीन का कैरी बैग देने का दबाव बना रहे हैं. पॉलिथीन पर लगे बैन का प्रभाव जानने के लिए ‘प्रभात खबर’ की टीम ने शुक्रवार को राजधानी के कई इलाकाें का जायजा लिया.
रांची : अलबर्ट एक्का चौक पर सड़क के किनारे फल बेचनेवाले अब भी प्लास्टिक के थैले में फल बेचते दिख रहे हैं. वहीं, करमटोली चौक जानेवाले रास्ते में सड़क के किनारे चिकन बेचनेवाले खुलेआम ग्राहकों को पॉलिथीन में चिकन दे रहे थे. इसी तरह शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर ठेले-खोमचे पर सामान बेचनेवाले भी पॉलिथीन का उपयोग कर रहे है. हालांकि, दुकानदारों में नगर निगम की कार्रवाई का खौफ भी है. इसलिए वे ग्राहकों को पॉलिथीन का कैरी बैग देने से मना कर रहे हैं. लेकिन, ग्राहक ही दुकानदारों पर किसी तरह पॉलिथीन का जुगाड़ करने का दबाव बना रहे हैं. ऐसे में बचते-बचाते दुकानदार भी पॉलिथीन में सामान दे दे रहे हैं.
पॉलिथीन मुक्त है आपका प्रतिष्ठान, तो हमें बतायें
अगर आपका व्यावसायिक प्रतिष्ठान पॉलिथीन मुक्त है, तो प्रभात खबर से अपनी ये पहल साझा करें. आप अपने संदेश अपने प्रतिष्ठान के नाम और फोटो के साथ +919431188711 पर ह्वाट्सएप करें. प्रभात खबर ऐसे संदेशों को प्रमुखता से प्रकाशित करेगा.
कागज के ठोंगे की बिक्री बढ़ी
जब से पाॅलिथीन का कैरी बैग चलन में आया, कागज के ठोंगे का महत्व कम हो गया था. इधर, जब से पॉलिथीन पर बैन लगा है, उसके बाद कागज के ठोंगे और कपड़े की थैली की बिक्री बढ़ गयी है. अपर बाजार के ठोंगा विक्रेता नवरतन ने बताया कि पहले भूंजा, चना और सत्तू बेचने वाले व छोटे किराना दुकानदार ही कागज के ठोंगा ले जाते थे, लेकिन अब ठोंगा की बिक्री बढ़ गयी है. कुछ बड़े दुकानों से ठोंगा मंगाया जा रहा है. उन्होंने कागज का ठोंगा बनानेवालों के लिए इसे अच्छा संकेत बताया है.
थैले के पैसा नहीं दे रहे ग्राहक
पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद सब्जी विक्रेता कपड़े का थैला रखने लेगे हैं, लेकिन ग्राहक इसके बदले उन्हें पैसा नहीं देने को तैयार नहीं हैं. श्रद्धानंद रोड के किनारे सब्जी लगानेवाली सानो देवी ने बताया कि हम नियम का पालन करने लगे हैं, लेकिन इससे हमें घाटा हो रहा है. ग्राहकों से थैले का पैसा मांगने पर वह नहीं देते हैं. कपड़े के थैला का पॉकेट 400 रुपये में आता है. एक थैला दो रुपये का पड़ता है, लेकिन लोग इसके लिए हमें पैसे नहीं दे रहे हैं. यह मुफ्त में देना पड़ता है. व्यापार करना है, तो रखना ही पड़ता है.
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