आनंद मोहन
रांची : झारखंड की चुनावी राजनीति और सरगरमी संताल परगना शिफ्ट कर गयी है. प्रदेश के बड़े नेता संताल परगना में कैंप कर रहे हैं. शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी और अजरुन मुंडा ने संताल परगना की तीनों सीट के लिए ताकत झोंक दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कामकाज छोड़ पिछले कई दिनों से दुमका में कैंप कर रहे हैं.
हेमंत ने पिता शिबू सोरेन के चुनावी अभियान की कमान संभाली है. संताल परगना में प्रदेश के नेताओं की साख दावं पर लगी है. शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी और अजरुन मुंडा जैसे दिग्गज राजनीतिक खिलाड़ियों के भविष्य की दशा-दिशा संताल परगना का चुनाव परिणाम तय करेगा. दुमका, राज्य की सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन गयी है. यहां शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी आमने-सामने हैं. राज्य के दो दिग्गज नेताओं के कारण चुनावी रोमांच उफान पर है.
शिबू सोरेन के साथ झामुमो की प्रतिष्ठा इस सीट पर जुड़ी है. पार्टी के अंदर हेमंत सोरेन के नेतृत्व की परीक्षा होनी है. शिबू ने जीत हासिल की, तो संताल में झामुमो की हुंकार आने वाले दिनों में सुनायी देगी. वहीं बाबूलाल मरांडी के लिए दुमका सीट विधानसभा चुनाव के लिए रास्ता तैयार करेगा. झाविमो ने झामुमो को शिकस्त दे दी, तो फिर दुमका के सहारे बाबूलाल संताल में हवा बनायेंगे.
दुमका में भाजपा के सुनील सोरेन रास्ता बनाने में जुटे हैं. तमाम चुनौतियों के बीच यहां कहीं भाजपा का कमल खिला, तो फिर भाजपा पूरे राज्य में सियासी गणित बदलने में जुट जायेगी. संताल परगना में भाजपा ने हेमलाल मुरमू को अपने खेमे में ला कर झामुमो का खूंटा हिलाने की कोशिश की है. राजमहल सीट पर झामुमो हिसाब बराबर करने के लिए खूब पसीना बहा रहा है. चुनाव में झामुमो ने हेमलाल का रास्ता रोक दिया, तो पार्टी के लिए बड़ी जीत होगी.
हेमलाल कमल के साथ दिल्ली पहुंच गये, तो पार्टी के अंदर अजरुन मुंडा का कद और बढ़ेगा. वहीं बाबूलाल मरांडी ने झामुमो के नाराज विधायक साइमन मरांडी पर डोरे डाले हैं. गोड्डा सीट भाजपा, झाविमो और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है. इस सीट पर भाजपा के निशिकांत दुबे, झाविमो के प्रदीप यादव और कांग्रेस के फुरकान अंसारी हैं. पार्टियों के धुरंधर प्रत्याशियों के बीच यहां वोटरों का मिजाज भांपना आसान नहीं है.
वोटरों ने संताल परगना में इन तीन सीटों में जिस पार्टी के माथे जीत का सेहरा बांधा, उस दल के नेता की राजनीतिक कद-काठी बढ़ेगी. राज्य के दिग्गज नेताओं का भविष्य संताल परगना की राजनीति से तय होना है.