रांचीः लोकतंत्र हसीना बानो जैसे वोटरों के जज्बा से ही जिंदा है. 75 वर्षीय हसीना बानो समाज के लिए मिसाल हैं. असम में रह रहीं हसीना बानो पिछले दिनों 17 अप्रैल को रांची सिर्फ इसलिए आयीं कि उनको वोट देना है.
रातू के बनापीड़ी की रहने वाली हसीना बानो कहतीं हैं कि वह इतनी दूर से केवल इसलिए आयीं कि उसके वोट की कीमत है. इस अधिकार का सदुपयोग होना चाहिए. वह कहतीं हैं कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपकी पसंद का उम्मीदवार एक वोट से हार जाये. लोकतंत्र में एक-एक वोट देश की दशा-दिशा तय करता है.