रांची: खाद्य आपूर्ति मंत्री व पर्यावरण कार्यकर्ता सरयू राय ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्द्धन को एक पत्र भेजा है. इसमें केंद्रीय मंत्री से झारखंड के विकास की जीवन रेखा कहे जाने वाले दामोदर नद से संबंधित एक अध्ययन संबंधी प्रस्ताव पर उनकी स्वीकृति मांगी गयी है. यह अध्ययन प्रस्ताव केंद्रीय खान एवं ईंधन शोध संस्थान (सिम्फर) का है. उक्त संस्था ने इससे पहले 1995 में दामोदर एक्शन प्लान तथा 2005 में कैरिइंग कैपिसिटी अॉफ रिवर दामोदर विषय पर भी अपनी रिपोर्ट दी थी, जो बहुत उपयोगी रही थी.
क्या लिखा है पत्र में
खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री राय ने केंद्रीय मंत्री को लिखा है, आपको मालूम है कि झारखंड का दामोदर बेसिन केंद्र सरकार के लोक उपक्रमों की आर्थिक गतिविधियों का एक सघन क्षेत्र है, जहां कोल इंडिया, दामोदर घाटी निगम, बोकारो स्टील लि. सहित कई प्रतिष्ठित संस्थान अवस्थित हैं. इनकी आर्थिक गतिविधियों के कारण समय के साथ देवनद दामोदर बुरी तरह प्रदूषित हो गया था. इसकी गिनती दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित जल स्रोतों में होने लगी थी. सिम्फर के पूर्व के अध्ययन के आंकड़े इसका प्रमाण हैं. वर्ष 2004 से दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने का एक साझा जनअभियान – दामोदर बचाओ आंदोलन के तत्वावधान में शुरू हुआ, जिसका अध्यक्ष मुझे बनाया गया. वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तो दामोदर बचाओ आंदोलन को बल मिला.
90 फीसदी प्रदूषण मुक्त हो गया है दामोदर
केंद्रीय खान मंत्रालय व ऊर्जा मंत्रालय के मंत्री पीयूष गोयल ने मेरे अनुरोध पर झारखंड के दामोदर बेसिन में कार्यरत केंद्रीय लोक उपक्रमों के प्रमुखों की एक बैठक बुलायी तथा उन्हें यह सुनिश्चित करने का स्पष्ट निर्देश दिया. इसमें कंपनियों से अपना दूषित जल दामोदर में नहीं गिराने के बारे में तीन माह के भीतर एक कार्य योजना प्रस्तुत कर इसे क्रियान्वित करने को कहा गया था. इस निर्देश पर अमल का नतीजा यह हुआ कि देवनद दामोदर आज 90 फीसदी प्रदूषण मुक्त हो गया है. बोकारो स्टील को छोड़कर अन्य उपक्रमों का दूषित जल दामोदर में जाने से रुक गया है. बोकारो स्टील ने भी हमें आश्वस्त किया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी मार्च 2018 के पूर्व उसकी अधोसंरचना का कार्य पूरा हो जायेगा तथा उसके दूषित औद्योगिक बहिस्राव का दामोदर में गिरना बंद हो जायेगा.
ऐसी स्थिति में मार्च 2018 में देवनद दामोदर औद्योगिक प्रदूषण मुक्त हो जायेगा. एक सक्रिय जनसंगठन और एक संवेदनशील सरकार द्वारा दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में किये गये सार्थक प्रयत्नों की सफलता का यह देश में एक अप्रतिम उदाहरण होगा. आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने का यह प्रयास वैज्ञानिक कसौटी पर भी कसा जाये. भारत सरकार के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ वैज्ञानिक संस्थान सिम्फर ने इस संदर्भ में उपर्युक्त विषयक एक विस्तृत परियोजना प्रस्ताव तैयार किया है तथा वित्तीय सहायता हेतु भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के समक्ष इसे प्रस्तुत किया है.
सिम्फर के पास 1995 व 2005 में दामोदर पर किये गये कार्यों का पर्याप्त अनुभव है. अनुरोध है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समक्ष सिम्फर की रिपोर्ट द्वारा प्रस्तुत उपर्युक्त परियोजना प्रस्ताव की शीघ्र स्वीकृति हेतु आवश्यक निर्देश देने की कृपा करें, ताकि जनहित का यह कार्य वर्तमान वित्तीय वर्ष में शुरू हो सके.