इस बात का अध्ययन किया जा रहा है कि झारखंड के जंगलों में बाघ क्यों कम हो रहे हैं. व्याघ्र परियोजना में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की टीम सर्वे कर रही है, जो अक्तूबर-2018 तक पूरा हो जाने की संभावना है. कोर्ट के आदेश के अनुसार व्याघ्र परियोजना में 50 प्रतिशत खाली पदों से अधिक पद भर लिया गया है. परियोजना के समीप अवस्थित आठ गांव के लोगों के पुनर्वास पर कार्य चल रहा है. चेक डैम भी बनाये गये हैं. प्रार्थी विकास महतो ने जनहित याचिका दायर की है.
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झारखंड से बाघ छत्तीसगढ़ जाते हैं, तो क्या यहां दूसरे राज्यों से भी आते हैं ?
रांची़: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को जंगलों व बाघों की घटती आबादी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए माैखिक रूप से कहा कि झारखंड से बाघ छत्तीसगढ़ चले जाते हैं, तो क्या […]
रांची़: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को जंगलों व बाघों की घटती आबादी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए माैखिक रूप से कहा कि झारखंड से बाघ छत्तीसगढ़ चले जाते हैं, तो क्या झारखंड में दूसरे राज्यों से बाघ आते हैं? पलामू व्याघ्र परियोजना में बाघों की संख्या में वृद्धि क्यों नहीं हो रही है? इस पर सरकार की अोर से संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तिथि निर्धारित की.
राज्य सरकार ने क्या कहा
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि पलामू व्याघ्र परियोजना में वर्तमान में छह बाघ हैं. उग्रवादियों की गोलीबारी के कारण भी कुछ बाघ छत्तीसगढ़ भेजे गये हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अॉथोरिटी, राज्य सरकार व पलामू व्याघ्र परियोजना के बीच एमओयू हुआ है. एमअोयू के तहत कार्य किया जा रहा है.
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