1968 में डॉ कार्तिक उरांव द्वारा स्थापित अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद देश के आदिवासियों को शिक्षित, संगठित, अधिकारों के लिए संघर्षशील और स्वावलंबी बनाने के लिए 28 राज्यों में काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि परिषद जनजातीय समाज के रीति-रिवाजों, परम्पराओं और पूजा पद्धतियों को लिपिबद्ध कर उन्हें ठोस स्वरूप प्रदान करने का भी प्रयास कर रही है. समारोह में कांके के विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि जीवन में केवल ज्ञानी और सफल होना जरूरी नहीं, बल्कि समाजोपयोगी होना ज्यादा महत्वपूर्ण है. पिछड़ों को आगे लाने, निःशक्तों को सशक्त बनाने और दबे-कुचलों को उठा कर विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए सतत प्रयास करने की जरूरत है. बीएयू के कृषि अधिष्ठाता डॉ राघव ठाकुर, संपादक पंकज वत्सल तथा प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने भी कार्तिक उरांव के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन डॉ एसके पाल तथा डॉ बीके झा ने किया.