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इटखोरी को टूरिस्ट मैप पर लाने की तैयारी

रांची: झारखंड के चतरा जिले के इटखोरी को पर्यटक नक्शे (टूरिस्ट मैप) पर लाने की तैयारी हो रही है. इससे पहले पुरातत्व विभाग इटखोरी के सभी पुरातात्विक महत्व की चीजों का डॉक्यूमेंटेशन (विस्तृत ब्योरा इकट्ठा कर इनका प्रकाशन) करेगा. अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. उधर, पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने पखवाड़े भर […]

रांची: झारखंड के चतरा जिले के इटखोरी को पर्यटक नक्शे (टूरिस्ट मैप) पर लाने की तैयारी हो रही है. इससे पहले पुरातत्व विभाग इटखोरी के सभी पुरातात्विक महत्व की चीजों का डॉक्यूमेंटेशन (विस्तृत ब्योरा इकट्ठा कर इनका प्रकाशन) करेगा. अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. उधर, पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने पखवाड़े भर पहले तीन बार इटखोरी का दौरा किया है.

इटखोरी में संग्रहालय, सभागार तथा पार्क व बोटिंग (बक्सा डैम में) सहित पर्यटकों के लिए जरूरी अन्य सुविधाअों व संरचनाअों का निर्माण होगा. करीब एक एकड़ जमीन पर संग्रहालय का निर्माण चार करोड़ की लागत से होगा. इसके बाद पुरातात्विक अवशेषों को संजो कर रखा जा सकेगा, जो अभी जहां-तहां पड़े हैं. इटखोरी में बौद्ध इतिहास तथा यहां मौजूद बौद्ध अवशेषों के मद्देनजर इसे बोधगया तथा अन्य बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ कर बुद्ध सर्किट बनाने की परिकल्पना पुरानी है.

राज्य सरकार की इन तैयारियों के मद्देनजर बुद्ध सर्किट बनाने की मांग भी पूरी हो सकती है. गौरतलब है कि इटखोरी में हिंदू व जैन से संबंधित प्राचीन अवशेषों व वस्तुअों के अलावा सौ से अधिक बौद्ध अवशेष भी मौजूद हैं. पुरातात्विक महत्व वाले अवशेषों की संभावना को देखते हुए इटखोरी में उत्खनन का कार्य भी प्रस्तावित है. पुरातत्व से जुड़े अधिकारियों के अनुसार खुदाई से दुनिया का परिचय एक नयी इटखोरी से हो सकता है, जो रांची से करीब 60 किमी दूर इस स्थान को पर्यटक नक्शे पर मजबूती से स्थापित करेगा.

सातवीं से दसवीं शताब्दी तक के बौद्ध अवशेष मौजूद
अब तक की जानकारी के अनुसार इटखोरी में सातवीं से दसवीं शताब्दी तक के बौद्ध अवशेष मौजूद हैं. यहां विभिन्न मुद्राअों वाली बुद्ध की प्रतिमा, पुराने सिक्के तथा मिट्टी (टेराकोटा) के बरतन मिले हैं. मां भद्रकाली मंदिर में जिस शिवलिंग की पूजा की जाती है, उस पर बुद्ध की 1008 छोटी आकृति खुदी है. पलामू व हजारीबाग में भी मौजूद कुछ बौद्ध अवशेषों को बोधगया के प्रभाव व प्रसार वाला क्षेत्र माना जाता है. यानी बुद्ध व बौद्ध से इस क्षेत्र का संपर्क पुष्ट है. पर दुनिया इसके बारे में बहुत नहीं जानती.

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