रांची : पिछले एक साल के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करनेवाले दो अधिकारियों को बर्खास्त किया गया है. इनमें राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी मधुसूदन और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सूर्य मणि आचार्य के नाम शामिल हैं. दोनों अधिकारी पिछड़ी जाति के हैं. हालांकि खुद को एससी व एसटी परिवार द्वारा […]
रांची : पिछले एक साल के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करनेवाले दो अधिकारियों को बर्खास्त किया गया है. इनमें राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी मधुसूदन और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सूर्य मणि आचार्य के नाम शामिल हैं. दोनों अधिकारी पिछड़ी जाति के हैं. हालांकि खुद को एससी व एसटी परिवार द्वारा गोद लिये जाने का दावा करते हुए दोनों ने गलत जाति प्रमाण पत्र हासिल किया था.
जांच में पाया गया कि डीएसपी मधुसूदन ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र के आधार पर तत्कालीन िबहार में 37वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल की थी. उन्होंने जाति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए यह दावा किया था कि जन्म लेने के बाद उन्हें नवादा के सेखो देवरा गांव निवासी रामेश्वर पासवान ने गोद लिया था. हालांकि उनका जन्म पिछड़ी जाति में हुआ था.
इसी दावे के आधार पर उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल किया था. जांच में पाया गया कि वह कभी रामेश्वर पासवान के साथ रहे ही नहीं. गोद लेने से संबंधित कागजी प्रक्रिया भी नहीं अपनायी गयी थी. वहीं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सूर्य मणि आचार्य ने भी यह दावा किया था कि पिछड़ी जाति में जन्म लेने के बाद अनुसूचित जनजाति के एक व्यक्ति ने उन्हें गोद लिया था.
इसी दावे के आधार पर उन्होंने अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र हासिल किया. मामले की जांच में पाया गया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान कभी अनुसूचित जनजाति को दी जानेवाली सुविधाएं नहीं लीं. पढ़ाई के दौरान कभी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवाया. राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अनुसूचित जाति के लिए किये गये आरक्षण का लाभ लेने के लिए लोहरा जाति के व्यक्ति द्वारा गोद लिये जाने का दावा करते हुए जाति प्रमाण पत्र बनवाया और नौकरी हासिल की. कास्ट स्क्रूटनी समिति द्वारा जांच पड़ताल के बाद की गयी अनुशंसाओं के आलोक में दोनों अधिकारियों को बर्खास्त किया गया है.