रांची : केंद्रीय वित्त मंत्री ने भाजपा शासित राज्याें से पेट्रोल पर वैट कम करने काे कहा है. कुछ राज्याें ने ऐसा कर लाेगाें काे राहत भी दे दी है. पर झारखंड में यह नहीं हाे सका है. इधर जानकाराें के मुताबिक यह करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं है. सरकारी कोष की हालत […]
रांची : केंद्रीय वित्त मंत्री ने भाजपा शासित राज्याें से पेट्रोल पर वैट कम करने काे कहा है. कुछ राज्याें ने ऐसा कर लाेगाें काे राहत भी दे दी है. पर झारखंड में यह नहीं हाे सका है. इधर जानकाराें के मुताबिक यह करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं है. सरकारी कोष की हालत पेट्रोल पर वैट कम करने से बदतर हो सकती है. राज्य में राजस्व वसूली में लगातार कमी आ रही है. वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए निर्धारित राजस्व वसूली के लक्ष्य 28 हजार करोड़ रुपये में से केवल 23 प्रतिशत की ही वसूली हो सकी है.
चालू वित्तीय वर्ष का एक-चौथाई समय ही शेष है. परंतु, सरकारी खजाने में राजस्व के रूप में लगभग 6500 करोड़ ही जमा हो सके हैं, जबकि, अब तक कम से कम लक्ष्य की 50 प्रतिशत की वसूली हो जानी चाहिए थी. ऐसे में पेट्रोल पर टैक्स की दर कम करने से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होगा. इस वजह से झारखंड में अब तक पेट्रोल से वैट कम करने का प्रस्ताव तक तैयार नहीं किया गया है.
तेजी से गिरी है राजस्व वसूली : राजस्व वसूली में गिरावट की मुख्य वजह राज्य सरकार की नीतियां हैं. महिलाओं को एक रुपये में रजिस्ट्री का लाभ देने की वजह से साल भर में लगभग 600 करोड़ रुपये के राजस्व गिरावट की उम्मीद है. सरकार द्वारा शराब की खुदरा बिक्री का फैसला भी निराश कर रहा है. सरकार द्वारा व्यवसाय की कमान अपने हाथों में लेने के बाद शराब से मिलनेवाले राजस्व में 50 फीसदी से अधिक कमी आ गयी है. सरकारी राजस्व के अन्य स्रोतों से भी कोई अच्छी खबर नहीं है.
न्यायालय के आदेश और केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से खान-खदानों से भी राजस्व में गिरावट दर्ज की गयी है. जीएसटी लागू होने की वजह से वाणिज्य कर विभाग भी आस भरी निगाहों से केंद्र सरकार की ओर देख रहा है. ऐसे में पेट्रोल पर लगाया गया वैट सरकारी खजाने के लिए ऑक्सीजन का काम कर रहा है. इसमें कमी करना कोष के लिए खासी परेशानी का सबब बन सकता है.