धनबाद : एकीकृत बिहार में निरसा के तत्कालीन मासस विधायक गुरुदास चटर्जी की हत्या 14 अप्रैल, 2000 को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के देवली इलाके में जीटी रोड पर कर दी गयी थी. गुरुदास धनबाद से एक मीटिंग में भाग लेकर मोटरसाइकिल से निरसा लौट रहे थे. मोटरसाइकिल अपूर्वो घोष चला रहा था. विधायक की हत्या […]
धनबाद : एकीकृत बिहार में निरसा के तत्कालीन मासस विधायक गुरुदास चटर्जी की हत्या 14 अप्रैल, 2000 को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के देवली इलाके में जीटी रोड पर कर दी गयी थी. गुरुदास धनबाद से एक मीटिंग में भाग लेकर मोटरसाइकिल से निरसा लौट रहे थे. मोटरसाइकिल अपूर्वो घोष चला रहा था. विधायक की हत्या के खिलाफ घंटों जीटी रोड जाम रहा था.
शव के साथ लोग रोड पर धरने पर बैठकर मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री के आदेश पर तत्कालीन कारा राज्यमंत्री डॉक्टर सबा अहमद के साथ बिहार के वरीय पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे थे. इनलोगों के आश्वासन के बाद जाम हटा था. मोटरसाइकिल चालक सह मासस कार्यकर्ता अपूर्वो घोष के बयान पर गोविंदपुर थाना में कांड संख्या 90-2000 के तहत केस दर्ज किया गया था.
केस में शिवशंकर सिंह, उमेश सिंह, नर्मदेश्वर सिंह, विजय शंकर सिंह, उमाशंकर सिंह, प्रेमजीत सिंह, नूरेन मास्टर, मो जाहिद व सुशांतो सेनगुप्ता को नामजद किया गया था. पुलिस अनुसंधान में सुशांतो के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिला. तत्कालीन एसपी अनिल पाल्टा के निर्देश और पुलिस दबिश के कारण अभियुक्तों को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा. कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. सरेंडर करनेवालों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की गयी. अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गयी.
पांच को आजीवन कारावास : धनबाद के एडीजे-13 बीके सहाय की अदालत ने 18 नवंबर 2003 को गुरुदास हत्याकांड में दोषी पाकर नर्मदेश्वर सिंह, उनके पुत्र शिवशंकर सिंह, शूटर उमेश सिंह, नूरेन मास्टर व विजय सिंह को उम्र कैद की सजा सुनायी. नामजद अभियुक्त प्रेमजीत सिंह, उमाशंकर सिंह व मो जाहिद को बरी कर दिया. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सजा पाये अभियुक्तों की ओर से रांची हाइकोर्ट में अपील की गयी. न्यायमूर्ति हरिशंकर प्रसाद व आरके मरेठिया की अदालत ने छह मई 2005 को शिवशंकर सिंह व उमेश सिंह की उम्र कैद को फांसी में तब्दील कर दिया. नर्मदेश्वर सिंह, नूरेन मास्टर व विजय सिंह को बरी कर दिया गया. फिर दोनों अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया.
आरोपियों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी
गुरुदास की हत्या के बाद उनके पुत्र अरूप चटर्जी नौकरी छोड़कर राजनीति में आये. पिता की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में विजयी श्री चटर्जी वर्तमान में निरसा के विधायक हैं. अरूप का कहना है कि पुलिस अनुसंधान सही दिशा में हुआ और अभियुक्तों पर कानूनी शिकंजा कसा. लोकप्रिय जनप्रतिनिधि की दिनदहाड़े कोयला माफिया द्वारा हत्या कर दी गयी. इस जघन्य अपराध के लिए आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से आरोपी को फांसी के बदले उम्र कैद की सजा हो गयी. वह चाहते थे कि आरोपियों को जीवन भर जेल में काटनी पड़ी. ऐसा आदेश आता, तो एक मैसेज जाता कि जनप्रतिनिधि की जघन्य हत्या करनेवालों को कानून ने कठोर सजा दी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 20 से 22 साल में अभियुक्त जेल से बाहर आ जायेगा. ऐसे में वह फिर अपराध को अंजाम दे सकता है. पुलिस की मिलीभगत से वह 14 साल जेल में काटने के आधार पर रिहा होना चाहते हैं. पुलिस की ओर से उसके अच्छे व्यवहार की अनुशंसा कर छोड़ने का प्रस्ताव था. वर्तमान सीएम रघुवर दास ने रिहा करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. पुलिस के इस व्यवहार से विधायक असंतुष्ट हैं.