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मनरेगा संघर्ष मोर्चा की मांग, मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का हो भुगतान

रांची: मनरेगा संघर्ष मोर्चा ने नरेगा मजदूरी दर निर्धारण के लिए गठित नागेश सिंह कमेटी की अनुशंसा का विरोध किया है. मोर्चा के अनुसार कई बार मांगने पर भी भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के मजदूरी दर निर्धारण के लिए गठित इस कमेटी की अंतिम […]

रांची: मनरेगा संघर्ष मोर्चा ने नरेगा मजदूरी दर निर्धारण के लिए गठित नागेश सिंह कमेटी की अनुशंसा का विरोध किया है. मोर्चा के अनुसार कई बार मांगने पर भी भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के मजदूरी दर निर्धारण के लिए गठित इस कमेटी की अंतिम अनुशंसा सार्वजनिक नहीं की है. इसलिए मोर्चा ने केवल सरकारी अधिकारियों वाली नागेश कमेटी की अंतरिम अनुशंसाओं के आधार पर ही टिप्पणी की है.

कमेटी के अनुसार मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम खेतिहर मजदूरी देने का कोई बेहतर व ठोस अाधार नहीं है. एेसा कहना न्यूनतम मजदूरी कानून-1948 की अवहेलना है, जो वर्ष 2009 में शुरू हुई है. इस वर्ष केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरी को एक अप्रैल 2009 के मूल्य दर (100 रुपये) पर सीमित कर दिया था. गत नौ वर्षों से केंद्र सरकार मनरेगा मजदूरी का आधार मूल्य बढ़ाये बिना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक खेतिहर मजदूर (सीपीअाइएएल) का प्रयोग करते हुए नरेगा मजदूरी बढ़ा रही है.

इस कारण कई राज्यों की मनरेगा मजदूरी उसकी खेतिहर न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है. उदाहरण के लिए बिहार की न्यूनतम खेतिहर मजदूरी 232 रुपये है जबकि मनरेगा मजदूरी केवल 168 रुपये है (जिसमें नौ रुपये राज्य सरकार देती है). झारखंड की मनरेगा मजदूरी दर राज्य की न्यूनतम खेतिहर मजदूरी से 61 रुपये कम है. इस परिस्थिति में ग्रामीण मनरेगा में काम नहीं करना चाहते. मनरेगा की मजदूरी बहुत कम होने से काम की मांग में गिरावट का डर है. शायद यही सरकार की मंशा भी है कि नरेगा मजदूरी इतनी कम हो जाये कि मजदूर स्वयं ही मनरेगा में काम न करना चाहें. इस स्थिति में सरकार बिना कानून का उल्लंघन किये मनरेगा पर खर्च कम कर सकेगी.

क्या हैं मोर्चा की मांगें

नागेश सिंह कमेटी की मुख्य अनुशंसा अमान्य कर दी जाये

सीइजीसी के वर्किंग ग्रुप ऑन वेजेज (2010) की अनुशंसा लागू की जाये, जिसमें तीन विकल्प दिये गये थे (1) पुनः मनरेगा कानून की धारा 6(1) के अनुसार मनरेगा मजदूरों को उनके राज्य की न्यूनतम खेतिहर मजदूरी मिले (2) केंद्र सरकार राज्यों व मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों के साथ मिल कर मनरेगा मजदूरी तय करे जिसका महंगाई के साथ संशोधन हो और जो न्यूनतम मजदूरी कानून के अनुरूप हो (3) मनरेगा कानून में संशोधन हो, जिससे केंद्र सरकार मनरेगा मजदूरी के लिए कुछ राशि दे तथा शेष राशि विभिन्न राज्य सरकार दे, ताकि मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल सके. मनरेगा मजदूरी का भुगतान 15 दिन के अंदर हो. भुगतान में विलंब होने पर मजदूरों को पूरा मुआवजा मिले.

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