कंपनी जिन वार्डों में सफाई कर रही थी, उन वार्डों की सफाई व्यवस्था का भी हाल बुरा था. यही वजह है कि नगर आयुक्त शांतनु अग्रहरि ने कंपनी को डिबार करते हुए पांच सितंबर को फाइनल अल्टीमेटम दिया था. कंपनी को यह निर्देश दिया गया था कि एक माह के अंदर कंपनी अपने खामियों को दूर कर शहर की सफाई-व्यवस्था को पटरी पर लाये. लेकिन, एक माह बीत जाने के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था नहीं सुधरी.
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एस्सेल इंफ्रा को टर्मिनेट करने की तैयारी में रांची नगर निगम
शहर की बदहाल होती सफाई-व्यवस्था को देखते हुए रांची नगर निगम ने एस्सेल इंफ्रा को टर्मिनेशन नोटिस देने की तैयारी कर ली है. निगम बोर्ड की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव लाया जायेगा. वहां से प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद कंपनी को नोटिस जारी कर दिया जायेगा. इसके साथ ही कंपनी को राज्य में […]
शहर की बदहाल होती सफाई-व्यवस्था को देखते हुए रांची नगर निगम ने एस्सेल इंफ्रा को टर्मिनेशन नोटिस देने की तैयारी कर ली है. निगम बोर्ड की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव लाया जायेगा. वहां से प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद कंपनी को नोटिस जारी कर दिया जायेगा. इसके साथ ही कंपनी को राज्य में ब्लैक लिस्टेड कर दिया जायेगा. यानी भविष्य में कंपनी को राज्य में कोई भी प्रोजेक्ट नहीं मिलेगा. सफाई कार्य में लापरवाही बरतने को लेकर कंपनी को पूर्व में ही नगर निगम डिबार कर चुका है.
रांची: रांची नगर निगम ने दो अक्तूबर 2016 को रांची शहरी क्षेत्र की साफ-सफाई का जिम्मा रांची एमएसडब्ल्यू को सौंपा था. यह कंपनी रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर है. उस समय कंपनी ने दावा किया था कि वर्ष 2017 के प्रारंभ तक शहर के सभी 55 वार्डों में सफाई का कार्य शुरू हो जायेगा, लेकिन पिछले एक साल से कंपनी केवल 33 वार्डों में ही सफाई का काम शुरू कर पायी है.
कर्मचारियों के वेतन के लिए सीएम ने की पहल
इस बीच कंपनी के हरमू रोड स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन और करबला चौक स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन के कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गये. कंपनी ने जब से शहर में सफाई व्यवस्था का जिम्मा उठाया है, तब से लेकर अब तक कंपनी के कर्मचारियों ने 14 से अधिक बार हड़ताल कर चुके हैं. कंपनी द्वारा नियमित वेतन नहीं दिये जाने से कर्मचारी बार-बार हड़ताल पर चले जा रहे थे. नाराज कर्मचारियों को वेतन दिलाने के लिए दो बार खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास को पहल करनी पड़ी थी.
अव्यवस्था की वजह से स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़े
केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष की शुुरुआत में कराये गये स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता में राजधानी रांची को पूरे देश में 117वां स्थान मिला. इसके लिए भी एस्सेल इंफ्रा की कार्यप्रणाली जिम्मेदार मानी जा रही है. शहरवासी भी यह मान रहे हैं कि अगर कंपनी द्वारा तय समय पर सभी 55 वार्डों में सफाई का काम शुरू कर दिया गया होता, तो शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छा स्थान मिल सकता था. जबकि, कंपनी की वजह से सब गुड़-गोबर हो गया.
मंत्री से लेकर डिप्टी मेयर तक हैं व्यवस्था से नाराज
शहर के सफाई व्यवस्था के बदहाली को लेकर हाल ही नगर विकास मंत्री सीपी सिंह व उप महापौर संजीव विजयवर्गीय ने काफी तल्ख टिप्पणी की थी. नगर विकास मंत्री ने तो यहां तक कहा था कि कचरा देख कर उनका नींद हराम हो गयी है. वहीं, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने तो अपने वार्ड (वार्ड नं 10) और वार्ड नंबर नौ से कंपनी के काम को वापस लेने की मांग नगर आयुक्त से की थी. श्री विजयवर्गीय ने कहा कि कंपनी के बजाय वे अपने वार्ड में महिला स्वयं सहायता समूह से काम करवाना चाहते हैं. उन्होंने नगर आयुक्त से आग्रह किया था कि जिन वार्डों में एस्सेल इंफ्रा साफ-सफाई कर रही है, उन सभी वार्डों की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंप दें.
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