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3600 करोड़ रुपये का है झारखंड में कारोबार: 3.25 की सिरींज का वसूलते हैं 22 रुपये
हम अपने पाठकाें काे दूसरी कड़ी में सर्जिकल आइटम्स के तहत सिरींज के हाेलसेल आैर रिटेल कीमताें का खेल कैसे हाेता है, उसके बारे में बता रहे हैं. जानकारों की मानें, तो इसमें तकरीबन 600 से 750% तक का मार्जिन है. रांची: अस्पताल में होनेवाले ऑपरेशन व मरीजों के इलाज में सबसे ज्यादा सिरींज का […]
हम अपने पाठकाें काे दूसरी कड़ी में सर्जिकल आइटम्स के तहत सिरींज के हाेलसेल आैर रिटेल कीमताें का खेल कैसे हाेता है, उसके बारे में बता रहे हैं. जानकारों की मानें, तो इसमें तकरीबन 600 से 750% तक का मार्जिन है.
रांची: अस्पताल में होनेवाले ऑपरेशन व मरीजों के इलाज में सबसे ज्यादा सिरींज का उपयोग होता है. औसतन एक मरीज पर प्रतिदिन करीब छह सिरींज का प्रयोग होता है. प्रभात खबर ने जब सिरींज के कारोबार का अध्ययन किया, तो चौंकानेवाले तथ्य सामने आये. झारखंड में सालाना सर्जिकल आइटम्स के 7,200 करोड़ के कारोबार का पचास फीसदी तो सिर्फ सिरींज का है. यानी सिरींज का झारखंड में सालाना खुदरा कारोबार 3,600 करोड़ रुपये का है. एक महीने की बात करें, तो इसकी खुदरा बिक्री करीब 300 करोड़ रुपये की है.
इसमें थोक विक्रेताओं का मार्जिन कम होता है, लेकिन खुदरा बाजार में आते ही यह आंकड़ा कई सौ गुना बढ़ जाता है. जानकारों की मानें, तो इसमें तकरीबन 600 से 750फीसदी तक का मार्जिन है. निजी अस्पतालों में यह मार्जिन करीब 800 प्रतिशत तक हो जाता है. प्रभात खबर के पास होलसेल, खुदरा व अस्पतालों से की गयी खरीदारी का बिल है. बिल के आकलन से सिरींज में मुनाफे का खेल स्पष्ट होता है. इस मुनाफे का बड़ा हिस्सा अस्पतालों और रिटेलरों को जाता है.
एमआरपी व वास्तविक मूल्य में काफी अंतर : सर्जिकल आइटम में सिरींज के मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) व उसके वास्तविक मूल्य में काफी अंतर रहता है. निजी अस्पतालों में मरीजों से सिरींज का एमआरपी लिया जाता है. 10 एमएल सिरींज का अस्पताल 21 रुपये तक मूल्य वसूलता है, जबकि थोक में इसकी कीमत 3.25 रुपये है. पांच एमएल की सिरींज में करीब 600 प्रतिशत की मार्जिन होती है. थोक में पांच एमएल की सिरींज 1.51 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में 10.50 रुपये में बिकती है. अस्पताल में इसके 14 रुपये तक लिये जाते हैं. तीन एमएल की सिरींज थोक में 1.25 रुपये में मिलती है, लेकिन खुदरा में 7.50 रुपये में बिकती है. यानी इस पर 500 प्रतिशत की मार्जिन होती है. दो एमएल की सिरींज थोक में 1.22 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में यह 6.50 रुपये में बिकती है. वहीं अस्पताल में 9.50 रुपये लिया जाता है.
निजी अस्पतालों में 700 से 800 प्रतिशत की मार्जिन
सिरींज के कारोबार में सबसे ज्यादा लाभ निजी अस्पतालों को होता है. निजी अस्पताल कम मूल्य में सिरींज खरीदते हैं, लेकिन मरीजों से एमआरपी पर पैसा वसूलते हैं. शहर के दो प्रतिष्ठित निजी अस्पताल के बिल की समीक्षा की गयी, तो मुनाफे का मार्जिन 800 प्रतिशत तक पाया गया. निजी अस्पताल में दो एमएल की सिरींज 9.50 रुपये में, तीन एमएल की सिरींज 6.50 रुपये में, पांच एमएल की सिरींज 14 रुपये में एवं 10 एमएल की सिरींज 22 रुपये तक में मिलती है.
सिरींज की प्रमुख कंपनी का होलसेल कारोबार 50 करोड़ का
सर्जिकल आइटम्स के होलसेल कारोबारी की मानें तो सिरींज की एक प्रमुख कंपनी साल में 50 करोड़ का होलसेल कारोबार करती है. वहीं, एक अन्य प्रमुख कंपनी सात करोड़ का थोक कारोबार करती है. इसके अलावा अन्य छोटी-छोटी सिरींज निर्माण करनेवाली कंपनियां भी हैं. इन्हीं कंपनियों की सिरींज का खुदरा कारोबार 3,600 करोड़ का हो जाता है, क्योंकि सिरींज पर 800 प्रतिशत की मार्जिन होती है.
राज्य आइएमए सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा
डॉक्टर को पता है कि मरीज से दवाओं के नाम पर ज्यादा पैसा लिया जाता है, फिर आइएमए विरोध क्यों नहीं करता?
आजकल अधिकांश अस्पताल नॉन-मेडिकल प्रोफेशनल लोग संचालित करते हैं. वहां डॉक्टर एक कर्मचारी की तरह हो जाता है. उसका काम सिर्फ इलाज करना होता है. उसे इलाज के लिए पैसा मिलता है. दवा व सर्जिकल आइटम्स के लिए अस्पताल क्या लेता है, डॉक्टर को पता नहीं होता है.
आइएमए में डॉक्टर ही शामिल हैं, ऐसे में संस्था अपने स्तर से क्या प्रयास कर रही है?
हम डॉक्टर हैं, हमें भी पता है कि दवाओं पर बहुत मार्जिन है. कंपनियां काफी मार्जिन रख कर एमआरपी तय करती हैं, लेकिन इसके नियंत्रण का जिम्मा सरकार का है. वन कंट्री, वन ड्रग एंड वन प्राइस की मांग आइएमए सरकार से लगातार कर रही है. अपने फोरम से हमेशा इसकी जानकारी केंद्र व राज्य सरकार को समय-समय पर देते रहते हैं. अब इस पर निर्णय सरकार को लेना है.
थाेक व खुदरा मूल्य
आइटम्स थोक खुदरा
सिरींज-2एमएल 1.22 6.50-10
सिरींज-3एमएल 1.25 7.50-11
सिरींज-5एमएल 1.51 10.50-14
सिरींज-10एमएल 3.25 15-22
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