उन्होंने कहा कि संस्थान के कई मॉडल को मलयेशिया सरकार ने भी अपनाया है. हाल में केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले किये हैं. इसमें नोटबंदी और जीएसटी महत्वपूर्ण है. ऐसे में कंपनी सचिव की जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है.
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द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के गोल्डेन जुबली ईयर का शुभारंभ, अजय मारू ने कहा देश को आगे बढ़ाने में सीएस का अहम रोल
रांची : झारखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना है, तो इसके लिए खुद को विकसित करना है. राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सबको मिल कर काम करना होगा. देश को आगे बढ़ाने में कंपनी सचिव (सीएस) का अहम योगदान है. उक्त बातें पूर्व राज्यसभा सांसद अजय मारू ने बुधवार को होटल कैपिटोल […]
रांची : झारखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना है, तो इसके लिए खुद को विकसित करना है. राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सबको मिल कर काम करना होगा. देश को आगे बढ़ाने में कंपनी सचिव (सीएस) का अहम योगदान है. उक्त बातें पूर्व राज्यसभा सांसद अजय मारू ने बुधवार को होटल कैपिटोल हिल में कही. श्री मारू द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के गोल्डेन जुबली इयर के शुभारंभ पर बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि संस्थान के कई मॉडल को मलयेशिया सरकार ने भी अपनाया है. हाल में केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले किये हैं. इसमें नोटबंदी और जीएसटी महत्वपूर्ण है. ऐसे में कंपनी सचिव की जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है.
छवि बनाये रखें
ओपी जालान एंड एसोसिएट्स कंसल्टेंट्स एलएलपी के एमडी व संस्थान के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार जालान ने कहा कि कंपनी सेक्रेटरी की छवि काॅरपोरेट बैरिस्टर की तरह है. इसे बनाये रखें. ईमानदारी के साथ अपना पूरा समय दें. इस दौरान कई पूर्व अध्यक्षों को सम्मानित किया गया. सदस्यों को पूर्व राज्यसभा सांसद अजय मारू व रांची चैप्टर की चेयरपर्सन पूजा कुमारी ने स्वच्छता की शपथ दिलायी. मौके पर राजीव रंजन, संजीव दीक्षित, सुभाष भारती, सनत कुमार मिश्रा, अरुण कुमार सिन्हा, राजीव कुमार आदि उपस्थित थे.
व्यावहारिक पक्ष को भी जानें सीएस के स्टूडेंट
इस मौके पर संस्थान की रांची शाखा के पूर्व अध्यक्ष वीके गड्यान ने कहा कि कंपनी सचिव का काम कॉरपोरेट के साथ जुड़ा हुआ है. हर कंपनी में एक पूर्णकालिक सीएस होना चाहिए. सीएस के स्टूडेंट किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि व्यावहारिक पक्ष को भी जानें. इससे वे बढ़िया सीएस बन सकेंगे. सीए के साथ मिल कर चलना सीएस के लिए बड़ी चुनौती थी. शुरुआती दौर में रांची में केवल 12 सदस्य थे. वर्तमान में लगभग 150 सदस्य हैं. यह महत्वपूर्ण प्रोफेशन बन गया है.
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