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झारखंड के आंदोलनकारियों को सम्मान और अधिकार दे सरकार : कृष्णा मार्डी

रांची: पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़नेवाले आंदोलनकारियों को सरकार से सम्मान और अधिकार देने की मांग की है. कहा है कि आंदोलनकारियों की सूची में कई ऐसे अनाम लोग हैं, जिनकी पहचान की जरूरत है. विधानसभा प्रेक्षागृह में झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा द्वारा आयोजित सम्मेलन में श्री मार्डी ने कहा […]

रांची: पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़नेवाले आंदोलनकारियों को सरकार से सम्मान और अधिकार देने की मांग की है. कहा है कि आंदोलनकारियों की सूची में कई ऐसे अनाम लोग हैं, जिनकी पहचान की जरूरत है. विधानसभा प्रेक्षागृह में झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा द्वारा आयोजित सम्मेलन में श्री मार्डी ने कहा कि राज्य के स्थापना दिवस समारोह पर आंदोलनकारियों की एक बड़ी सभा रांची में आयोजित करने की जरूरत है, जिसमें झारखंड के आंदोलनकारियों का सान्निध्य मिले.

इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा. क्योंकि उनके कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी है. उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि कई गांव नक्सल मुक्त हो गये हैं. उग्रवाद मुक्त बन गये हैं. कहा जा रहा है कि नकुल यादव की बंदिश से लोगों को मुक्ति मिल गयी है. ऐसे में कैसा विकास हो रहा है. उन्होंने सभी आंदोलनकारियों से एकजुट होने का आग्रह भी किया.

लिखा जा रहा है पत्र
झारखंड, ‌वनांचल आंदोलनकारी चिह्नितिकरण आयोग के सदस्य सुनील फकीरा कच्छप ने कहा कि आयोग की तरफ से सभी आंदोलनकारियों को अलग-अलग पत्र लिखा जा रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को छोड़ आजसू, झामुमो, भाजपा और आंदोलन के समय बनी सर्वदलीय समिति को भी सूचना दी गयी है. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी को जानने और पहचानने की सारी कोशिशें की जा रही हैं. सभी दलों के प्रमुखों से कहा गया है कि वे सूची का मिलान करें. उन्होंने कहा कि जिलावार चिह्नितिकरण का काम शुरू किया जायेगा.
बदल गयी है स्थिति
पूर्व विधायक लालू सोरेन ने कहा कि अविभाजित बिहार के समय झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ रहे लोगो को गोईठा, खोमचावाले और अन्य का भी समर्थन मिला था. उस समय विनोद बिहारी महतो ने कई आंदोलनकारियों की मदद की थी. झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के एक आवाज पर झारखंड बंद हो जाता था. अब स्थिति बदल गयी है. आंदोलनकारियों को उनका सम्मान नहीं मिल रहा है. सरकार का कोई काम नहीं हो रहा है. सड़क, नाली बनाने का दावा किया जा रहा है. पर जमीन पर कुछ नहीं दिखता है.

लोग परेशान हैं. जमीन को लेकर अलग-अलग दावेदारी हो रही है. सब चीज में राजनीति हो रही है. कार्यक्रम को पूर्व मंत्री सधनू भगत, झारखंड जनजातीय सलाहकार पर्षद के सदस्य रतन तिर्की, विमल कच्छप, सुखदेव हेंब्रम, बिरसा मुंडा, सीतारानी जैन, अजीत विश्वकर्मा, दिवाकर साहू, शि‌वशंकर महतो, प्रदीप विश्वकर्मा, जावेद अख्तर, मोईन अंसारी, रामशरण विश्वकर्मा, एतवा उरांव, फूलचंद तिर्की समेत अन्य ने भी अपने विचार रखे. मोर्चा के संयोजक मुमताज खान ने सम्मेलन की अध्यक्षता की.

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