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जीएसटी से स्थिति और बिगड़ी, अपार्टमेंटों के नहीं मिल रहे खरीदार
रांची: एक तरफ राजधानी रांची में ताबड़तोड़ अपार्टमेंट तैयार हो रहे हैं और दूसरी तरफ स्थिति यह है कि खरीदार नहीं मिल रहे हैं. खासकर, पहली जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद से स्थिति और भी खराब हो गयी है. जीएसटी का असर अपार्टमेंटों की फिनिशिंग पर भी पड़ रहा है. वैसे भी अपार्टमेंट […]
रांची: एक तरफ राजधानी रांची में ताबड़तोड़ अपार्टमेंट तैयार हो रहे हैं और दूसरी तरफ स्थिति यह है कि खरीदार नहीं मिल रहे हैं. खासकर, पहली जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद से स्थिति और भी खराब हो गयी है.
जीएसटी का असर अपार्टमेंटों की फिनिशिंग पर भी पड़ रहा है. वैसे भी अपार्टमेंट की बुकिंग और धीमी मांग की वजह से लोगों की दिलचस्पी बने-बनाये फ्लैट खरीदने में कम हो गयी है. आलम यह है कि कांके रोड, बूटी मोड़, हिनू, कटहल मोड़, कांटाटोली, चर्च रोड, लालपुर, हटिया, ओबरिया रोड, सिंहमोड़, पुनदाग और अन्य इलाकों में एक साल पहले से बन रहे फ्लैटों के आधे से अधिक फ्लैट अब भी खाली हैं. इनके खरीदार अब नहीं मिल रहे हैं. नतीजतन अपार्टमेंट बनानेवाले बिल्डरों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.
कम हो गयी फ्लैटों की कीमतें: जानकारी के अनुसार राजधानी में एक सौ से अधिक छोटे-बड़े बिल्डर हैं. इनमें से 40-45 बिल्डर ही अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. कोई बड़ा प्रोजेक्ट फिलहाल नहीं आ रहा है. कांके रोड, मोरहाबादी, लालपुर, वर्दवान कंपाउंड, हिनू, सिंहमोड़, पुनदाग जैसे इलाकों में फ्लैटों की कीमतें भी 500 रुपये प्रति वर्ग फीट तक कम हो गयी हैं. बरियातू, मोरहाबादी, कांके रोड, लालपुर जैसे प्रीमियम लोकेशनों पर फ्लैटों की दर जहां पहले 35 सौ रुपये से पांच हजार वर्ग फीट तक थी. वह अब तीन हजार रुपये से 45 सौ रुपये वर्ग फीट तक हो गयी है. राजधानी में रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट (रेरा) के तहत निबंधन कराने के नये प्रावधानों से भी नये बिल्डरों की संख्या कम हो गयी है.
जीएसटी से बनी हुई है अनिश्चितता: अपार्टमेंटों के फ्लैटों में लगनेवाले जीएसटी की वजह से बिल्डरों में अनिश्चितता बनी हुई है. बिल्डर इसकी वजह से अपना जीएसटीएन नंबर भी नहीं ले पा रहे हैं. केंद्र सरकार ने ईंट, बालू, चिप्स, बिजली की वस्तुएं, छड़, प्लंबिंग वस्तुएं, सजावटी मार्बल, टाइल्स, पेंट और अन्य पर अलग-अलग जीएसटी लागू कर दिया है, जो पांच फीसदी से लेकर अधिकतम 28 फीसदी तक है. बिल्डरों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे जीएसटी के तहत खरीदारों से 18 प्रतिशत कर (टैक्स) लें. इतना ही नहीं फ्लैटों का निबंधन भी राज्य सरकार ने अनिवार्य कर दिया है. इससे बिल्डर एक फ्लैट की कीमतों का निर्धारण नहीं कर पा रहे हैं. इसको लेकर राजधानी के तमाम बिल्डरों की राय भी अलग-अलग है.
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