रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में आवंटित राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया. इसके कारण विश्वविद्यालय के लिए आवंटित 130 करोड़ रुपये में से लगभग 111 करोड़ रुपये सरेंडर करने होंगे. इस राशि के सरेंडर से राज्य में उच्च शिक्षा का विकास प्रभावित होगा.
मानव संसाधन विकास विभाग (उच्च शिक्षा निदेशालय) ने रांची के पांचों विश्वविद्यालयों को वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए अलग-अलग मद में कुल 90 करोड़ रुपये आवंटित किया था. उसी वर्ष इस राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा गया था लेकिन आज तक किसी विश्वविद्यालय ने प्रमाणपत्र नहीं दिया है. इस संदर्भ में कई बार रिमाइंडर भी दिया गया, लेकिन उक्त राशि का हिसाब नहीं दिया गया. उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए विश्वविद्यालयों को राशि आवंटन नहीं की जा सकी. राजभवन से लेकर मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को कई बार निर्देश दिया, लेकिन उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया.
21 करोड़ रुपये का दिया हिसाब
विवि ने 90 करोड़ रुपये में से लगभग 21 करोड़ रुपये का ही उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा किया. जिन योजनाओं का विश्वविद्यालय ने उपयोगिता प्रमाणपत्र दिया, उसके लिए राशि निर्गत की गयी. वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के बजट में 130 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.
राशि खर्च करने के लिए निदेशालय ने सभी विश्वविद्यालय से योजना प्रस्ताव व पिछले वित्तीय वर्ष में आवंटित राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा था. विवि ने योजना प्रस्ताव तो जमा किया पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया.