हैदरनगर : पलामू का हैदरनगर प्रखंड. इस प्रखंड मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है शेखपुरा गांव. इस गांव की आबादी लगभग ढाई सौ है. रोजगार व शिक्षा के दृष्टिकोण से देखें, तो यह गांव संपन्न है. गांव में रहनेवाले कई लोग बाहर जाकर कमा रहे हैं. शिक्षा में भी लोगों की […]
हैदरनगर : पलामू का हैदरनगर प्रखंड. इस प्रखंड मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है शेखपुरा गांव. इस गांव की आबादी लगभग ढाई सौ है. रोजगार व शिक्षा के दृष्टिकोण से देखें, तो यह गांव संपन्न है. गांव में रहनेवाले कई लोग बाहर जाकर कमा रहे हैं. शिक्षा में भी लोगों की रुचि है. शिक्षा के महत्व को भी समझा है. शिक्षा के साथ-साथ स्वच्छता के मामले में भी यह गांव उदाहरण बना है. गांव की सड़कें साफ-सुथरा दिखती हैं. कहीं कोई गंदगी नहीं है. आमतौर पर गांव हो या शहर सड़क पर गंदगी नजर आ ही जाती है, लेकिन इस गांव में घर के आसपास भी सफाई रहती है.
ऐसे में मन में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर यह सब संभव हुआ तो कैसे. इसके लिए क्या कोई सरकारी प्रयास हुआ या कोई जनजागरूकता अभियान चला. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. गांव साफ रहे व स्वच्छता के मामले में इसकी पहचान रहे, इसके लिए गांव के लोगों ने खुद पहल की. ग्रामीण स्तर पर कमेटी बनी है. इस कमेटी में गांव की महिलाओं को भी शामिल किया गया है. कमेटी की जब बैठक होती है, तो महिलाएं भी जुटती हैं. गांव अल्पसंख्यक बहुल है. पुरुष के साथ-साथ महिलाएं भी स्वच्छता अभियान में लगती हैं. आपसी सहयोग से सभी सुबह अपने घर के आसपास सफाई करते हैं.
कूड़ा एक निश्चित स्थान पर फेंका जाता है और उसके बाद उसका निस्तारण भी किया जाता है. सभी के घरों के सामने डस्टबीन भी लगा हुआ है. कागज हो या पॉलिथीन सब उसी में फेंका जाता है. गांव के लोगों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी सड़क पर गंदगी न फैलाये. यदि गंदगी फैलाते हुए कोई पाया जाता है, तो जुर्माने के तौर पर 100 रुपये भी देने पड़ते हैं, जो कमेटी द्वारा वसूला जाता है.
गांव के लोगों की मानें, तो जब से उनलोगों ने स्वच्छता से नाता जोड़ा है, तब से गांव में बीमारी भी कम हो रही है. एक बेहतर वातावरण भी बना है. पहले से ज्यादा सुकुन भी मिलता है. गौरतलब है कि यह गांव खुले में भी शौच से मुक्त है. सभी घरों में शौचालय है. स्वयं लोगों ने प्रयास कर शौचालय का निर्माण कराया है.