रांची : कैबिनेट ने कामकाजी महिलाओं के बच्चों की देख-भाल के लिए पालनाघर चलाने का फैसला किया है. इस योजना पर कुल 6.40 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. सरकार राज्य में चल रहे 743 पालनाघरों का अधिग्रहण कर खुद चलायेगी. कैबिनेट ने केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कामकाजी महिलाओं के छह माह से छह […]
रांची : कैबिनेट ने कामकाजी महिलाओं के बच्चों की देख-भाल के लिए पालनाघर चलाने का फैसला किया है. इस योजना पर कुल 6.40 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. सरकार राज्य में चल रहे 743 पालनाघरों का अधिग्रहण कर खुद चलायेगी. कैबिनेट ने केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कामकाजी महिलाओं के छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए पालनाघर और डे-केयर चलाने का फैसला किया है.
59.25 करोड़ की लागत से स्वीकृत इस योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान 6.40 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. एक पालनाघर के संचालन पर सालाना 2.21 लाख रुपये के खर्च का अनुमान किया गया है.
इसकी मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त की जानेवाली एजेंसी को उसके काम के बदले 10 लाख रुपये का भुगतान किया जायेगा. एक और महत्वपूर्ण फैसले में कैबिनेट ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में संशोधन करते हुए श्रम कानून के तहत न्यायालयों में मुकदमा दायर करने की अवधि कम कर दी है. पहले इस अधिनियम के तहत श्रम विवाद को न्यायालय में दायर करने के लिए तीन साल तक का समय निर्धारित था. इसे घटा कर तीन महीने कर दिया गया है. इस संशोधन का उद्देश्य श्रम विभाग से जुड़े मामलों को जल्द निपटाना बताया गया है.
कैबिनेट ने उत्पाद विभाग में उत्पाद निरीक्षक, उत्पाद अवर निरीक्षक, उत्पाद सहायक निरीक्षक और उत्पाद सिपाही की नियुक्ति में नि:शक्तों के लिए किये गये आरक्षण के प्रावधान को समाप्त कर दिया है. इससे इन पदों पर नि:शक्त व्यक्ति नौकरी नहीं कर पायेंगे.
कैबिनेट ने हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे पप्पू तिवारी की दया याचिका अस्वीकार करने का फैसला किया है. गढ़वा निवासी पप्पू तिवारी ने विकास सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी. सत्र न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसमें राज्यपाल के पास दया याचिका भेजी थी. राज्यपाल द्वारा दया याचिका सरकार की अनुशंसा के लिए भेजे जाने पर विधि विभाग ने पूरे मामले की समीक्षा की. विधि विभाग ने इस प्रकरण में राय देते हुए कहा कि इस तरह के अपराधियों को माफी नहीं दी जा सकती है. इससे समाज में गलत संदेश जायेगा.
झारखंड कैबिनेट के अन्य फैसले
1. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में रवीश कुमार बसाक की सेवा कोषागार में समायोजित करने का फैसला.
2. योजना विकास विभाग के प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए 37 पद सृजित.
3. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में वरीय न्यायिक सेवा के पदों को सेलेक्शन ग्रेड और सुपर टाइम स्केल में बांटने का निर्णय.
4. उत्तर कोयल परियोजना के कमांड एरिया डेवलपमेंट का डीपीआर बनाने के लिए 1.77 करोड़ की लागत पर मनोनयन के आधार पर वैबकॉस को काम देने का फैसला.
4. 2500 सहायक पुलिस कर्मियों के वेतन और वर्दी के लिए जेसीएफ से 20 करोड़ रुपये अग्रिम देने की मंजूरी.