जेपी आंदोलन से प्रेरित होकर उदय शंकर अोझा 16 वर्ष की आयु में राजनीति में कूद पड़े थे. समकालीन छात्र नेताअों से वह अलग प्रकृति के थे. हंसमुख व सुगठित शरीर के धनी उदय शंकर अोझा ने निडर, जीवंत, स्पष्टवादी व निर्भीक स्वभाव के कारण अपनी अलग पहचान बनायी थी. वर्ष 1981 में रांची विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अराजकता के खिलाफ 13 दिनों का आमरण अनशन किया था. वहां से उन्होंने सामाजिक व राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.
1986-1991 के बीच वह रांची नगर निगम के पार्षद रहे. सांप्रदायिक सदभाव कायम करने में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. उदय शंकर अोझा झारखंड के राजनीतिक आंदोलन को सांस्कृतिक संजीवनी प्रदान करने में हमेशा प्रयासरत रहे. रामनवमी, दुर्गापूजा, सरहुल, ईद, गुरुनानक पर्व के आयोजन में वह हमेशा सक्रिय रहते थे. विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, श्रमिक, राजनीतिक संगठनों से वह जुड़े हुए थे. उदय शंकर अोझा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आवाज थे.
जनशक्ति मजदूर यूनियन की स्थापना कर उनके हक व अधिकार के लिए उन्होंने हमेशा संघर्ष किया. वर्ष 2002 में डोमिसाइल नीति के खिलाफ छात्र युवा संघर्ष समिति का गठन कर संघर्ष किया था. झारखंड ट्रक अॉनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे. वर्ष 2009 से लगातार श्री महावीर मंडल रांची के अध्यक्ष रहे. गरीबों, शोषितों व वंचितों की आवाज को उन्होंने हमेशा बुलंद किया. शोषणमुक्त व्यवस्था के संकल्प के साथ लोगों के उत्थान के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. 20 सितंबर 2016 को उनका निधन हो गया.