इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को देश भर में लागू करे. 23 सूत्री मांग पत्र के जरिये छठे वेतनमान की विसंगतियों को दूर करने, एक जनवरी 2004 के पूर्व पेंशन योजना सभी स्कूलों में दुबारा शुरू करने की बातें कही गयी हैं. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र देश भर में 65 वर्ष किये जाने, शैक्षणिक पदों पर स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था करने की मांग भी की गयी है.
अनुदान प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान कोषागार से किये जाने, सभी शिक्षकों की चिकित्सा के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य कार्ड दिये जाने, स्वतंत्र स्वायत्त नियामक शिक्षा आयोग का गठन करने की मांग भी की गयी. केंद्र सरकार कुल सकल घरेलू उत्पाद दर का 10 प्रतिशत और राज्य सरकारें अपने बजट का तीस प्रतिशत शिक्षा बजट में प्रावधान करे, इसकी वकालत भी संघ ने की है. शिक्षा की स्वायत्ता को बहाल करने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप बंद करने, प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिये जाने, विद्यार्थी मित्र, पारा टीचर, संविदा वाले शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों, शिक्षा मित्रों के लिए न्यूनतम वेतनमान और सेवा शर्तें लागू किये जाने समेत शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने की बातें कही गयी हैं.