रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्र में अवैध खनन से हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब को असंतोषजनक बताया. कोर्ट के पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी जतायी. माैखिक रूप से कहा कि क्या खनन कार्य करनेवाली कंपनियां पर्यावरण संरक्षण के मानकों को पूरा करती हैं.
क्या उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया है. यदि नहीं लिया है, तो उन्हें शीघ्र अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा. इस संबंध में सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी. सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित चाईबासा के खनन पदाधिकारी से खंडपीठ ने सवाल किया, जिसका वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. खनन पदाधिकारी ने बताया कि सारंडा क्षेत्र में अवैध खनन नहीं होता है. 13 कंपनियां खनन कार्य करती हैं.
जब खंडपीठ ने यह पूछा कि क्या कंपनियां पर्यावरण संरक्षण के मानकों को पूरा करती हैं, तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सरयू राय नेे जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने सारंडा क्षेत्र में अवैध खनन से हो रहे पर्यावरण प्रदूषण का मामला उठाया है.