रांची : जस्टिस एचसी मिश्रा ने प्री कंसेप्शन-प्री नैटल डायग्नोस्टिक टेस्ट (पीसी-पीएनडीटी) एक्ट 2014 को सख्ती से लागू करने पर बल दिया है. उन्होंने रविवार को डोरंडा के न्याय सदन में झारखंड लीगल एड सोसाइटी (झालसा) की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत […]
रांची : जस्टिस एचसी मिश्रा ने प्री कंसेप्शन-प्री नैटल डायग्नोस्टिक टेस्ट (पीसी-पीएनडीटी) एक्ट 2014 को सख्ती से लागू करने पर बल दिया है. उन्होंने रविवार को डोरंडा के न्याय सदन में झारखंड लीगल एड सोसाइटी (झालसा) की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. इस कानून को सख्ती से लागू कर उसकी हर समय मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भ्रूण जांच पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए, क्योंकि मां के गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे की लिंग जांच कानूनन जुर्म है.
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि सरकार को ऐसे मेडिकल सेंटरों पर नजर रखनी चाहिए, जहां लिंग जांच को बढ़ावा दिया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी परिवार में बालिका के प्रति हीन भावना रखना ठीक नहीं है. आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो परिवार में लड़कियों के जन्म पर दुर्भावना पाल कर रखते हैं.
वे मां के गर्भ में ही लिंग जांच को प्राथमिकता देते हैं. सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से गर्भावस्था के दौरान लिंग जांच को लेकर कई स्तर पर निगरानी की जा रही है. इसे राज्यों में भी संबंधित राज्य सरकारों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी मानसिक सोच 19वीं सदी की है, जबकि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं.
मौके पर मुंबई हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता उदय वरुणजीकर, झारखंड स्वास्थ्य मिशन के निदेशक कृपानंद झा, पीसी-पीएनडीटी के प्रोजेक्ट निदेशक रघुवीर सिंह व महिला और बाल विकास विभाग के निदेशक राजीव रंजन ने भी अपने विचार रखे.