सन्नी के पिता जबलपुर में ठेका मजदूर हैं. शादी के पहले सन्नी भी जबलपुर में रहकर जेसीबी चलाने का काम करता था. लेकिन शादी के लिए सन्नी जब गांव आया तो, उसके बाद वापस नहीं गया. वह जब भी बाहर जाने की बात कहता, तो उसकी पत्नी जिद पर अड़ जाती और जाने नहीं देती. पत्नी की जिद के कारण सन्नी जबलपुर नहीं जा पा रहा था.
परिजनों ने बताया कि सन्नी ने निशा को मनाने की हरसंभव कोशिश की. जब बात नहीं बनी तो शुक्रवार रात सन्नी ने सल्फास की गोली खा ली. यह देखकर निशा ने भी जहर खा लिया. दोनों जहर खाने के बाद बंद कमरे में तड़पने लगे. तड़पते हुए ही निशा ने बचाने की आवाज लगायी, जिसे सुन कर अगल-बगल के लोग घर में पहुंचे. देखा कि कमरा बंद है. घर में सिर्फ सन्नी की बूढ़ी मां है, छोटा भाई चाचा के घर सोने गया था. लोगों ने बंद कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश की, जब दरवाजा नहीं खुला तो छप्पर तोड़कर लोग कमरे में घुसे. देखा कि सन्नी व निशा की स्थिति गंभीर है. तत्काल दोनों को अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने सन्नी को मृत घोषित कर दिया. वहीं, इलाज के दौरान निशा की भी मौत हो गयी.