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सूकर के नस्ल सुधार और प्रसार के लिए कृत्रिम गर्भाधान पर जोर

रांची : पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विवि, कोलकाता के पूर्व कुलपति डॉ बीबी मल्लिक ने कहा है कि सूकर पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. इसके लिए देश के जनजातीय अौर पहाड़ी क्षेत्रों में न केवल आजीविका अौर पोषण सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि गरीब किसानों के रोजगार एवं आय में भी वृद्धि होगी. डॉ […]

रांची : पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विवि, कोलकाता के पूर्व कुलपति डॉ बीबी मल्लिक ने कहा है कि सूकर पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. इसके लिए देश के जनजातीय अौर पहाड़ी क्षेत्रों में न केवल आजीविका अौर पोषण सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि गरीब किसानों के रोजगार एवं आय में भी वृद्धि होगी. डॉ मल्लिक सोमवार को बिरसा कृषि विवि में दो दिवसीय दौरे पर आये.

इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों को संबोधित किया. डॉ मल्लिक आइसीएआर के अवकाश प्राप्त सहायक महानिदेशक डॉ सुशील कुमार व डॉ कुसुमाकर शर्मा, बीएयू के पूर्व शोध निदेशक डॉ डीके सिंह द्रोण, असम विवि के प्रो बीसी डेका, डॉ स्वराज के साथ दौरे पर थे. विवि की अोर से कुलपति डॉ पी कौशल ने समिति के कामकाज की जानकारी ली. डॉ मल्लिक ने कहा है कि सूकर प्रजनन के लिए परंपरागत गर्भाधान तकनीक के बजाय कृत्रिम गर्भाधान का सहारा लेना चाहिए.

नस्ल सुधार का काम तेजी से बढ़े, इसके लिए प्रचार-प्रसार की भी आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का प्रशिक्षण लेने के लिए वैज्ञानिकों को असम कृषि विवि जोराहाट भेजा जाये. वहां से वे उपकरण व सामग्री भी ला सकते हैं.

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