इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों को संबोधित किया. डॉ मल्लिक आइसीएआर के अवकाश प्राप्त सहायक महानिदेशक डॉ सुशील कुमार व डॉ कुसुमाकर शर्मा, बीएयू के पूर्व शोध निदेशक डॉ डीके सिंह द्रोण, असम विवि के प्रो बीसी डेका, डॉ स्वराज के साथ दौरे पर थे. विवि की अोर से कुलपति डॉ पी कौशल ने समिति के कामकाज की जानकारी ली. डॉ मल्लिक ने कहा है कि सूकर प्रजनन के लिए परंपरागत गर्भाधान तकनीक के बजाय कृत्रिम गर्भाधान का सहारा लेना चाहिए.
नस्ल सुधार का काम तेजी से बढ़े, इसके लिए प्रचार-प्रसार की भी आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का प्रशिक्षण लेने के लिए वैज्ञानिकों को असम कृषि विवि जोराहाट भेजा जाये. वहां से वे उपकरण व सामग्री भी ला सकते हैं.