उन्होंने कवि हरिवंश राय बच्चन से जुड़ा एक संस्मरण सुनाया. कहा : एक कार्यक्रम में श्री बच्चन ने उनका (हरेराम त्रिपाठी का) एक गीत सुना अौर ऐसे प्रभावित हुए कि उन्हें अपने घर बुलाकर आशीर्वाद स्वरूप सौ रुपए प्रदान किया. इतना ही नहीं श्री बच्चन ने एक कार्यक्रम में खुद न जाकर अपनी जगह मुझे भेजा.
डॉ प्रियदर्शी ने कहा कि साहित्यकार को किसी भी वाद का समर्थक नहीं होना चाहिए. क्योंकि उससे साहित्य की गरिमा नष्ट होती है. संस्था की अध्यक्ष बीना श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी. रश्मि शर्मा ने बताया कि यह संस्था किसी भी गुट या शिविर से बाहर रहते हुए हिंदी के उत्थान के लिए कार्य करेगी. संस्था के संयोजक शिशिर सोमवंशी ने उदघाटन वक्तव्य में शब्दकार के गठन के उद्देश्यों की चर्चा की. संस्था के सहसचिव सह मीडिया प्रभारी राजीव थेपड़ा ने भी संबोधित किया. संचालन कोषाध्यक्ष संगीता कुजारा टॉक ने किया. कार्यक्रम में हैरत फर्रुखाबादी, नसीर अफसर, सोनल थेपड़ा, नंदा पांडे भारती सिंह, आशुतोष प्रसाद, सीमा चन्द्रिका तिवारी, कुमार बृजेंद्र, धर्मराज राय, श्रीराम दुबे, सरोज कांत झा, आशा पांडे, संध्या चौधरी, प्रशांत गौरव, डॉ हीरानंदन प्रसाद, एजाज अनवर सहित अन्य साहित्यकारों ने हिस्सा लिया.