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झारखंड में सिर्फ छह लोगों का है बांबे ब्लड ग्रुप, ये बचा चुके हैं कई लोगों की जान

!! राहुल गुरु !! ईश्वर की बनाई हुई हर कृति अनमोल होती है. इंसान उन्हीं बेहतरीन कृतियों में से एक है. ईश्वर ने इनसानों को ऐसे अनमोल नेमतें बरती हैं, जिसकी बदौलत वह कुछ भी कर सकता है. ऐसी अनमोल नेमतों में शामिल है उसका ब्लड. ब्लड का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है. यह […]

!! राहुल गुरु !!

ईश्वर की बनाई हुई हर कृति अनमोल होती है. इंसान उन्हीं बेहतरीन कृतियों में से एक है. ईश्वर ने इनसानों को ऐसे अनमोल नेमतें बरती हैं, जिसकी बदौलत वह कुछ भी कर सकता है. ऐसी अनमोल नेमतों में शामिल है उसका ब्लड. ब्लड का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है. यह एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को देकर ही इसकी जरूरत को पूरा कर सकता है. हालांकि ब्लड रेयर ही होता है पर ब्लड के सभी ग्रुप में बॉम्बे ब्लड ग्रुप सबसे स्पेशल है.
जानकार बताते हैं की यह ग्रुप भारत में 10 हजार में एक लोग में पाया जाता है. देश में ऐसे यूनिक ब्लड ग्रुप वाले लोगों की संख्या काफी कम है. मुंबई की संस्था थिंक फाउंडेशन के अनुसार झारखंड में सिर्फ छह लोगों का ही बांबे ब्लड ग्रुप है. हालांकि डॉ आर श्रीवास्तव के अनुसार उनके पास झारखंड में सिर्फ दो लोगों के बारे में जानकारी है. इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही लोगों की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने ईश्वर के इस उपहार की बदौलत कई जानें बचायी हैं.

ईश्वर ने किसी खास वजह से मुझे चुना है : उमाकांत मंडल

घाटशिला जमशेदपुर के रहनेवाले उमाकांत मंडल जीविकोपार्जन के लिए एक्स-रे सेंटर चलाते हैं. वह कहते हैं कि मुझे जिस खास ब्लड ग्रुप के साथ भगवान ने धरती पर भेजा है़, इसका मतलब ही था कि मुझे कुछ खास ही करना है.
1994 जब पहली बात पता चला, तो पहले मैं डर गया कि ये रेयर ब्लड ग्रुप क्या है? फिर इसके बारे पता लगाना शुरू किया. कुछ जानकारी मिली, तो लगा की ईश्वर मुझसे कुछ खास की उम्मीद करता है, तभी मुझे इस खास चीज के साथ धरती पर भेजा है.
वह बताते हैं कि जब भी मेरे पास किसी जरूरतमंद का फोन आता है, तो बड़ी खुश होती है कि चलो आज मैं किसी के काम आ रहा हूं. अब तक 10 से अधिक बार रक्तदान कर चुके उमाकांत बताते हैं कि एक बार जमशेदपुर में ब्लड डोनेट करने की जरूरत पड़ी, तब मैं गया. ब्लड दे कर जब बाहर आया, तो पता चला कि मैंने जिसके लिए ब्लड डोनेट किया वह एक युवा है. उसका एक्सीडेंट हुआ था. तब खुद को बड़ा भाग्यशाली समझा.

शिलांग की प्रसुता के लिए कोलकाता जाकर किया रक्तदान

ये हैं विनय रंजीत टोपनो. रोस्पा टावर में इनकी दुकान है. इन्होंने कितनी बार रक्तदान किया है, इन्हें भी नहीं मालूम. वे कहते हैं कि आप खास तब होते हैं, जब आप किसी के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो सामने वाले को जिंदगी दे जाता है. मेरा ब्लड ग्रुप रेयर है इसका पता लगभग आठ साल पहले चला. वे एक घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं कि खुद में रेयर होने का अहसास तब हुआ जब एक बार शिलांग की किसी महिला के लिए रक्तदान करने कोलकाता गया. महिला प्रसव पीड़ा में थी.
उसका ऑपरेशन होना था. उस समय मेरे रक्तदान करने से तीन जिंदगियां बची. बाद में पता चला कि अगर उस महिला को बॉम्बे ब्लड ग्रुप नहीं मिलता, तो उसे बचाया जाना संभव नहीं हो पाता. वे कहते हैं कि जब भी यह घटना मुझे याद आती है, काफी रोमांचित हो जाता हूं. मेरा मानना है कि ईश्वर ने आपको किसी विशेष मकसद से भेजा है, उस मकसद को पहचानें और पूरा करें.

बांबे ब्लड ग्रुप के बारे में जानिए

अब तब रक्तसमूह ए, बी, एबी व ओ ही कॉमन होते हैं, जिनकी जानकारी लोगों को होती है. बांबे ब्लड ग्रुप ऐसा ग्रुप है, जिसके बारे में जानकारी नहीं के बराबर है. यही वजह है कि इसे रेयर ब्लड ग्रुप की श्रेणी में रखा गया है.
इसकी खोज 1952 में मुंबई के एक अस्पताल के डॉक्टर वाइएम भेंडे ने की थी. पहली बार इसका पता मुंबई में चला, इसलिए इस ग्रुप का नाम बांबे ब्लड ग्रुप रख दिया गया. भारत में यह ग्रुप हर 10 हजार लोगों में से किसी एक में पाया जाता है. जबकि यूरोप में यही आंकड़ा प्रति 10 लाख में एक का है. इस ग्रुप की विशेषता यह है कि इसमें एच एंटीजन नहीं होता है. एच एंटीजन से ही ए, बी, एबी और ओ ग्रुप में रेड सेल बनता है. आमतौर पर ब्लड टेस्ट के दौरानयह ओ ग्रुप ही पता चलता है, लेकिन ब्लड की जब रिवर्स टेस्टिंग की जाती है तब यह ब्लड ग्रुप पता चलता है.

बांबे आरएस पॉजिटिव हैं उपलब्ध

बांबे ब्लड ग्रुप के लिए काम करनेवाली मुंबई की संस्था थिंक फाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट विनय शेट्टी बताते हैं कि यह निश्चित रूप से देश में रेयर ब्लड ग्रुप में एक है, लेकिन इसके डोनर उपलब्ध हैं. थिंक फाउंडेशन के पास जो जानकारी है, वह रेयर ब्लड ग्रुप धारक के हैं. इनमें अधिकतर बांबे आरएस पॉजिटिव के हैं. बांबे आरएस निगेटिव ग्रुप और भी रेयर होता है. एक अनुमान के मुताबिक दक्षिण भारत के राज्यों में लगभग 200 लोगों का बांबे ब्लड ग्रुप है. महाराष्ट्र में भी यह संख्या 200 है. ओड़िशा में छह और कोलकाता में तीन ऐसे लोग हैं, जो बांबे ब्लड ग्रुप के हैं.

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