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जमशेदपुर : 80 साल के डॉ शर्मा की जीवन संगिनी बनीं डॉली

जमशेदपुर/रांची : जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य 80 साल के डॉ रवींद्र कुमार शर्मा की जीवन संगिनी करीब 50 साल की डॉली हांडा बनी है. डॉ शर्मा की पत्नी का निधन करीब डेढ़ साल पहले दिल्ली में हो गया था. डॉ शर्मा का एक बेटा ऑस्ट्रेलिया तथा दूसरा हांगकांग में रहता है. […]

जमशेदपुर/रांची : जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य 80 साल के डॉ रवींद्र कुमार शर्मा की जीवन संगिनी करीब 50 साल की डॉली हांडा बनी है. डॉ शर्मा की पत्नी का निधन करीब डेढ़ साल पहले दिल्ली में हो गया था. डॉ शर्मा का एक बेटा ऑस्ट्रेलिया तथा दूसरा हांगकांग में रहता है. बेटी दिल्ली में एक प्रतिष्ठित स्कूल के ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन है.

एमजीएम से सेवानिवृत्ति के बाद डॉ शर्मा ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवा दी. पत्नी की मौत के एक साल से अधिक गुजर जाने के बाद उन्होंने दिल्ली के एक मैरेज ब्यूरो में शादी के लिए आवेदन दिया. जहां उन्होंने आवेदन किया था, वहीं काम करनेवाली डॉली हांडा ने एक दिन डॉ शर्मा को शादी के लिए प्रपोज कर दिया. डॉली ने अपनी पूरी कहानी डॉ शर्मा को बतायी. करीब दो माह तक दोनों आपसी सामांजस्य बैठाने के बाद शादी के लिए तैयार हो गये. शादी का निर्णय लेने के बाद वह उन्होंने रांची के पुराने साथियों रामानंदन सिंह, डॉ पांडेय रविभूषण सिंह को याद किया. साथियों ने शादी की पूरी व्यवस्था करने का आश्वासन दिया. रांची आने के बाद उन्होंने रिनपास में लीगल एड क्लीनिक का काम देखनेवाले अधिवक्ता संजय कुमार शर्मा से संपर्क किया. अधिवक्ता श्री शर्मा और साथियों के आग्रह पर डॉ शर्मा ने दो दिन पहले दिउड़ी मंदिर में शादी की. शनिवार को साथियों की मौजूदगी में शादी का निबंधन कराया.

पत्नी की मौत के बाद अकेले हो गये थे डॉ शर्मा : डॉ शर्मा बताते हैं कि जिस वक्त वे एमजीएम के प्राचार्य थे, उसी समय तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्वास्थ्य विभाग में अपर निदेशक (चिकित्सा शिक्षा) बना दिया था. राज्य सरकार का कामकाज देखने बाद सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्त के बाद दिल्ली चले गये. वहां से नेपाल में चिकित्सा महाविद्यालय स्थापना का काम दिया गया. इस दौरान करीब सात साल काठमांडू में रहे. वहां से लौटने के बाद दिल्ली सरकार ने चिकित्सा शिक्षा में सलाहकार बना दिया. इसी दौरान पत्नी बीमार हो गयी. काफी इलाज कराने के बाद भी वह बच नहीं सकी. आज बच्चों के पास समय की कमी है. तीनों अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं. इस कारण एक जीवन साथी खोजने का निर्णय लिया. आज यह काम भी पूरा हो गया. श्री शर्मा की पढ़ाई संत जोसेफ स्कूल, तोरपा से हुई है. उनके पिता संयुक्त बिहार में पुलिस में थे. इस दौरान राजधानी के आसपास कई थानों में पदस्थापित रहे.
.. ऐसा होता रहा, तो वृद्धाश्रम की जरूरत नहीं पड़ेगी
डॉली हांडा कहती हैं कि 19 साल पहले उनके पति की मौत हो गयी थी. पति दिल्ली सरकार में ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में काम करते थे. एक बेटा है. वह एमबीए कर रहा है. पति की मौत के बाद मैरेज ब्यूरो में काम करती थी. वहीं डॉ शर्मा अपनी शादी के लिए आवेदन लेकर आये थे. दोनों ने एक-दूसरे की भावना से सहमत होने के बाद शादी का निर्णय लिया. समाज में ऐसा होता रहा, तो वृद्धाश्रम नहीं रहेगा.
रांची में है रहने का इरादा
डॉ शर्मा और डॉली का रांची में ही रहने का इरादा है. उनका कहना है कि यहां की आबोहवा अच्छी है. दोनों मिल-जुल कर अपने साथियों के साथ आगे की जिंदगी गुजारेंगे.

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