रांची: हाइकोर्ट में बुधवार को पहाड़ों के गायब होने व अवैध माइनिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी जतायी. आधे-अधूरे जवाब को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता […]
रांची: हाइकोर्ट में बुधवार को पहाड़ों के गायब होने व अवैध माइनिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी जतायी. आधे-अधूरे जवाब को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के अधिकारियों द्वारा बिना दिमाग के ही जवाब तैयार कर दिया गया है. कोर्ट ने जिन बिंदुअों पर सरकार से जवाब मांगा था, उस पर कोई जानकारी नहीं दी गयी है.
इस तरह का जवाब देना दुखद है. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि अवैध माइनिंग से राज्य के पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. सरकार का जवाब सच्चाई से परे है. पर्यावरण के मामले में सिर्फ कागजी खानापूर्ति हो रही है. यह चिह्नित नहीं किया जा रहा है कि किस पहाड़ को रखना है. पहाड़ के किस हिस्से में खनन करना है. किस पहाड़ को भविष्य के लिए बचा कर रखना है. यह गंभीर मुद्दा है.
राज्य सरकार इससे बचना चाह रही है. खंडपीठ ने सरकार से लघु खनिज खनन नीति बनाने को कहा. खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने दोबारा जवाब दाखिल करने के लिए खंडपीठ से समय देने का आग्रह किया. उन्होंने खंडपीठ को यह भी बताया कि सरकार लघु खनिज नीति तैयार कर रही है.
इसे जल्द लागू कर दिया जायेगा. वहीं एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि सरकार के शपथ पत्र में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी है. जवाब को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है. अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने हजारीबाग में अवैध माइनिंग होने की जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि पहाड़ों के गायब होने से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित समाचार को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने हजारीबाग में अवैध माइनिंग को लेकर जनहित याचिका दायर की है.