झारखंड में धर्म का कोई भेदभाव नहीं है, पर यहां धर्मांतरण विधेयक लाकर राज्य की सामाजिक समरसता को विखंडित करने का कार्य किया जा रहा है़ नियुक्तियों में झारखंड के आदिवासियों व मूलवासियों की सीधी नियुक्ति नहीं कर डेली वेज, आऊटसोर्सिंग आदि से धड़ल्ले से बहाली की जा रही है़.
पिछड़े, दलित, आदिवासी विद्यार्थियों के प्रमाणपत्र बनाने में विलंब किया जा रहा है़ सरकार द्वारा निगम, बोर्ड, अायोग, कुलपतियों व अन्य उच्च पदों पर नियुक्तियों में भी आदिवासी व मूलवासी समाज की घोर उपेक्षा की गयी है़ हस्ताक्षर करने वालों में रंजीत उरांव, आजम अहमद, महफूज आलम, बसंत मुंडा, रवि पीटर, ओम प्रकाश महतो, अमलेश कुमार, विनीता अल्पना खलखो, गोपाल महतो व निशिकांत लकड़ा शामिल है़ं.