सदस्यों ने कहा कि वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक पिछले 27 वर्षों से मूल्यांकन कार्य करते आ रहे हैं. संस्थानों को परीक्षा केंद्र भी बनाया जाता रहा है. इंटरमीडिएट परीक्षा निर्देशिका में भी इस बारे में स्पष्ट रूप से कहा गया है. परीक्षा निर्देशिका जैक बोर्ड द्वारा अनुमोदित होती है. इस पर राज्य सरकार की सहमति प्राप्त होती है. जैक बोर्ड स्वायत संस्था है.
परीक्षा के नियम-परिनियम बनाने का उसे पूर्ण अधिकार है. मुख्य सचिव के आदेश से उसकी स्वायतता पर प्रभाव पड़ेगा. मोर्चा का कहना है कि बिना जैक बोर्ड के अनुमोदन व निर्देशिका में संशोधन के बिना वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों को मूल्यांकन से कैसे वंचित किया जा सकता है. बाद में डाॅ सुरेंद्र झा की अध्यक्षता में मोरचा की बैठक हुई. कहा गया कि परीक्षा केंद्रों का निर्धारण जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है. उपायुक्त मुख्य परीक्षा नियंत्रक होते हैं. किन परिस्थितियों में एक-एक स्कूल-कॉलेज का परीक्षा केंद्र चार वर्ष तक एक ही जगह बनाया गया. इसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर पर गड़बड़ी की संभावना है. मोरचा ने मुख्यमंत्री से पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग की है. इस अवसर पर रघुनाथ सिंह, चंद्रेश्वर पाठक, अशोक कुमार सिंह आदि थे.