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महिला सहायता समूहों को दिये कर्ज नहीं हो रहे वापस

रांची : झारखंड में कार्य कर रही महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंक से दिये गये कर्ज की वापसी नहीं हो रही है. राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को विभिन्न बैंकों की ओर से 608 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दिया गया है. वर्ष 2011-12 से 2014-15 तक दिये गये कर्ज की राशि […]

रांची : झारखंड में कार्य कर रही महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंक से दिये गये कर्ज की वापसी नहीं हो रही है. राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को विभिन्न बैंकों की ओर से 608 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दिया गया है. वर्ष 2011-12 से 2014-15 तक दिये गये कर्ज की राशि में से 80 प्रतिशत से अधिक ऋण की वसूली के लिए बैंकों की ओर से अभियान शुरू कर दिया गया है. राजधानी रांची में ही 850 से अधिक समूहों को पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और अन्य बैंकों की तरफ से कर्ज दिये गये हैं. इनमें से अधिकतर अब नन परफारमिंग एसेट्स हो गये हैं. जानकारी के अनुसार महिला सहायता समूहों को राज्य भर में कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थानों के जरिये कर्ज दिलाया गया है. राजधानी में ही संत रविदास कल्याण समिति की ओर से सबसे अधिक महिला समितियों को कर्ज दिलाया गया है.
कर्ज की राशि चार लाख रुपये से लेकर अधिकतम 16 लाख रुपये तक है. राजधानी में ही महिला सहायता समूहों को बैंकों की ओर से 15-20 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे गये हैं. समिति की दस सदस्यों के बीच यह राशि दी गयी है. महिला समिति की अध्यक्ष और सचिव को बैंक की तरफ से गारंटर बना कर कर्ज दिया गया है. राजधानी के कुछ बड़े डिफाल्टरों में महागौरी महिला सहायता समूह, लक्ष्मी सहायता समूह, गौरी सहायता समूह, कृष्णा महिला सहायता समूह और अन्य हैं.
बचत और ऋण खातों में दिलाया गया पैसा : राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के ही आंकड़े पर गौर करें, तो महिलाओं को 18 जिलों के 210 प्रखंडों में 600 करोड़ से अधिक की राशि दी गयी. इसमें 32948 खाते ऐसे थे, जो समिति के बचत खातों से जुड़े थे. 13854 खाते कर्ज के खाते से जुड़े थे.
इन समितियों को राज्य में कार्यरत 127 स्वयंसेवी संस्थानों ने कर्ज दिलाया है. इसमें महिला समिति के सदस्यों के आर्थिक उन्नयन से लेकर कृषि, गैर कृषि, आजीविका बढ़ाने और अन्य योजनाओं को बैंकों से पैसा दिलवाया गया.
अंचल कार्यालय से करायी गयी स्वीकृति : पंजाब नेशनल बैंक के किशोरगंज, लालपुर और मोरहाबादी और अन्य शाखाओं से तत्कालीन वरीय प्रबंधक कृषि एसके सिंह, तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक सुभाष अरोड़ा के कार्यकाल में ही सबसे अधिक समूहों को ऋण दिया गया.
2011-12 में किशोरगंज शाखा से सहायता समूहों को वित्त पोषित किया गया. बाद में इन दोनों अधिकारियों का कर्ज देने की शक्ति छीनते हुए उनका स्थानांतरण भी कर दिया गया. इस मामले पर प्रभात खबर संवाददाता ने उप आंचलिक प्रबंधक एसके चौधरी से बातचीत करने की कोशिश भी की. पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया. यह बताया गया कि दिये गये कर्ज में से 90 फीसदी खाते जांच के दायरे में हैं.

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