रांची : जैन धर्मावलंबियों के पवित्र पर्युषण पर्व की शुरुआत 19 अगस्त से हो रही है. यह पर्व 27 अगस्त तक चलेगा. इसे त्योहार नहीं माना जाता. कहा जाता है कि यह जीवन शुद्धि का मंत्र है. ज्ञान, दर्शन और चरित्र की आधारना का पर्व है पर्युषण. यह व्यक्ति और समाज को जोड़ने का काम करता है. झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ की खूबसूरत पहाड़ियों पर देश के कोने-कोने से तो लोग आते ही हैं, देश-विदेश के धर्मावलंबी भी इस अवसर पर यहां आते हैं.
पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है. यह सार्वभौम पर्व है. इसमें आत्मा की उपासना की जाती है. संपूर्ण संसार में यह एकमात्र पर्व है, जिसमें आत्मरत होकर व्यक्ति आत्मार्थी बनता है. पर्युषण आत्म जागरण का संदेश देता है और व्यक्ति की सोयी हुई आत्मा को जगाता है. यह आत्मा द्वारा आत्मा को पहचानने की शक्ति देता है. पर्युषण पर्व जैन धर्मावलंबियों का आध्यात्मिक त्योहार है. पर्व शुरू होने के साथ ही ऐसा लगता है, मानो किसी ने10 धर्मों की माला बना दी हो. यह मैत्री और शांति का पर्व है. अपने आप में क्षमा का पर्व है.
जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार हैं, उनमें यह श्रेष्ठ है. पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है ‘आत्मा में अवस्थित होना’. पर्युषण का एक अर्थ ‘कर्मों का नाश करना’है. यह सभी पर्वों का राजा है. इसे आत्मशोधन का पर्व भी कहा गया है, जिसमें तप कर कर्मों की निर्जरा कर अपनी काया को निर्मल बनाया जा सकता है. पर्युषण पर्व को आध्यात्मिक दीवाली की भी संज्ञा दी गयी है. जिस तरह दीवाली पर व्यापारी अपने संपूर्ण वर्ष का आय-व्यय का पूरा हिसाब करते हैं, गृहस्थ अपने घरों की साफ- सफाई करते हैं, उसी तरह पर्युषण पर्व के आने पर जैन धर्मावलंबी अपने वर्ष भर के पाप-पुण्य का पूरा हिसाब करते हैं. वे अपनी आत्मा पर लगे कर्म रूपी मैल की साफ-सफाई करते हैं.