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प्रवचन: कोकर में श्रीमदभागवत प्रेम महोत्सव का चौथे दिन, साध्वी सरस्वती बोलीं, प्रभु आचरण से नहीं, प्रीत से मिलते हैं

रांची : साध्वी सरस्वती ने कहा कि प्रेम मनुष्य से नहीं प्रभु से करिये, क्योंकि प्रभु सुंदरता, धन व आचरण से नहीं मिलते हैं. प्रभु प्रीत से आसानी से मिल जाते हैं. अहंकार से परिपूर्ण मनुष्य हमेशा यही कहता रहता है कि लाखों अर्पण के बाद भी प्रभु नहीं मिलते हैं. ऐसी भक्ति की क्या […]

रांची : साध्वी सरस्वती ने कहा कि प्रेम मनुष्य से नहीं प्रभु से करिये, क्योंकि प्रभु सुंदरता, धन व आचरण से नहीं मिलते हैं. प्रभु प्रीत से आसानी से मिल जाते हैं. अहंकार से परिपूर्ण मनुष्य हमेशा यही कहता रहता है कि लाखों अर्पण के बाद भी प्रभु नहीं मिलते हैं. ऐसी भक्ति की क्या आवश्यकता है. वह कोकर स्थित मैदान में श्रीमदभागवत प्रेम महोत्सव के चौथे दिन प्रवचन करते हुए बोल रही थीं.

उन्होंने कहा कि ज्यादा धन आने पर हम जीवन के मूल कर्तव्य से विमुख हो जाते हैं. अाप कहां रह रहे हैं यह जरूरी नहीं है, बल्कि आपके मन में प्रभु के लिए कैसा भाव है यह महत्व रखता है. जन्माष्टी के दिन प्रवचन स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया गया. झूले को फूल-माला से सजाया गया था, जिसमें श्रीकृष्ण-राधा को विराजमान किया गया था.

भोले को कैसे मनाऊं रे, मेरा भोला न माने…
प्रवचन के दौरान साध्वी ने भजन के माध्यम से लोगों को अध्यात्म से जोड़ा. भोले को कैसे मनाऊं रे, मेरा भोला ना मानें… आदि भजन से भक्तों को भाव विभोर कर दिया. भजन ओ मेरे बिगड़ी बनाने वाला, कोई नहीं भोले नाथ से निराला… भजन प्रस्तुत किया.

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