रांची: जनजातीय कल्याण के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में कल्याण विभाग सुस्त है. वित्तीय वर्ष 2011-12 में विभाग ने समेकित जनजातीय विकास कार्यक्रम (आइटीडीपी) का 91.81 करोड़ रुपये पीएल खाते में जमा करके केंद्र सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया. नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से लेकर 2011-12 के बीच मेसो […]
रांची: जनजातीय कल्याण के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में कल्याण विभाग सुस्त है. वित्तीय वर्ष 2011-12 में विभाग ने समेकित जनजातीय विकास कार्यक्रम (आइटीडीपी) का 91.81 करोड़ रुपये पीएल खाते में जमा करके केंद्र सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया. नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से लेकर 2011-12 के बीच मेसो (माइक्रो इकोनोमिक सोशियो अॉर्गेनाइजेशन) क्षेत्र में संचालित आइटीडीपी कार्यक्रम संबंधी अॉडिट किया था. इसमें कई गड़बड़ियां मिली थी.
इसकी जानकारी विभाग को दिये जाने पर विभाग ने इसे सुधारने की बात कही थी. पर वित्तीय वर्ष 2013-14 से लेकर 2015-16 तक की अॉडिट करने पर फिर से वही गड़बड़ियां मिली. पाया गया कि आजीविका विकास संबंधी कार्यक्रमों के लिए किसी भी गांव में जनजातीय जनसंख्या का सामाजिक-अार्थिक डाटा बेस तैयार नहीं किया गया था. संबंधित मेसो क्षेत्र में खर्च नहीं हुए थे तथा फंड बेकार पड़ा था. सीएजी ने 2016 के मई से जुलाई माह तक 19 प्रोटोटाइप योजना का भौतिक सत्यापन किया था.
इस दौरान कुल 19 में से 17 योजनाएं अधूरी थी. उधर, लातेहार के जालिमखुर्द, बनहरदी व पांडेयपुरा में डेयरी विकास के कुल 63 में से 40 लाभुकों से बात की गयी थी. सबने कहा कि गोशाला निर्माण कर लिया गया, पर उन्हें आज तक गायें नहीं मिली.