संवाद कार्यक्रम को डॉ एस पी सिन्हा, एचआरडीसी के निदेशक डॉ अशोक चौधरी, रांची विवि के उप कुलसचिव डॉ प्रीतम कुमार, डॉ कंजीव लोचन, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, डॉ राजकुमार चौबे, डॉ विजय प्रकाश, डॉ नमिता सिंह, डॉ पूनम सहाय, डॉ बी के मिश्रा, डॉ शशि कुमार गुप्ता, डॉ मनोज कुमार, डॉ राजकुमार सिंह, डॉ गोकुल नारायण दास सहित कई शिक्षकों ने संबोधित किया. दूसरे सत्र में संगठनात्मक विषय पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने विचार रखे. उन्होंने झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में प्रभावी संगठन खड़ा करने पर जोर दिया. साथ ही अक्तूबर में प्रदेश अभ्यास वर्ग आयोजित करने का आह्वान किया़
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आह्वान: डोरंडा कॉलेज में संवाद का आयोजन, बोले कुलपति, राज्य के विवि को स्वायत्तता देने का प्रयास होना चाहिए
रांची: अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की झारखंड प्रदेश इकाई द्वारा रविवार को डोरंडा महाविद्यालय सभागार में ‘उच्च शिक्षा की गुणवत्ता कैसे?’ विषय पर संवाद कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि राज्य के विवि को स्वायत्तता देने की कोशिश की जानी चाहिए, जैसे […]
रांची: अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की झारखंड प्रदेश इकाई द्वारा रविवार को डोरंडा महाविद्यालय सभागार में ‘उच्च शिक्षा की गुणवत्ता कैसे?’ विषय पर संवाद कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि राज्य के विवि को स्वायत्तता देने की कोशिश की जानी चाहिए, जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी को है. सभी में देश के प्रति निष्ठा, समर्पण व ऐतिहासिक विरासतों के प्रति सम्मान होनी चाहिए . शिक्षा की गुणवत्ता के लिए स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक है. छात्रों के अनुपात के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए.
विनोबा भावे विवि के कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि विश्व के अच्छे विश्वविद्यालयों में हम काफी पीछे हैं. उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ज्ञान, सृजन व चरित्र निर्माण करना महत्वपूर्ण है. शोध कार्य पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार शोध से ही प्राप्त होता है. उच्च शिक्षा में ब्यूरोक्रेसी का हस्तक्षेप शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सही नहीं है. उन्होंने सीबीसीएस पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इस प्रकार की शिक्षा पद्धति से उच्च शिक्षा का भला नहीं हो सकता है. आज शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अच्छे शिक्षकों की आवश्यकता है.
मुख्य वक्ता महेंद्र कुमार ने कहा कि राधाकृष्णन समिति ने सर्वप्रथम शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाया. कहा कि शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता हेतु नयी-नयी तकनीकी व स्वदेशी को युग अनुकूल बना कर हम वैश्विक परिदृश्य में पुनः विश्व गुरु बन सकते हैं.
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