इधर, पहली पाली में सत्र शुरू होते ही झामुमो इस बात को लेकर अड़ गया कि मीडिया में बातें आ रही हैं कि सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक वापस ले लिया गया़ यह दिग्भ्रमित करनेवाली है़ .
सरकार के मंत्री बाहर बयान दे रहे हैं कि विधेयक को सदन से ही निरस्त करना होगा़ सदन में सरकार अपनी बात रखे़ झामुमो-कांग्रेस के विधायकों ने इसको लेकर काफी देर तक हो-हल्ला किया़ इसके बाद मुख्यमंत्री ने सदन में अपनी बातें रखी़ं मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं चुनौती देता हूं कि चर्चा करे़ं संशोधन यहां के लोगों के हित में किया गया था़ किसी उद्योगपति को जमीन देने की बात नहीं थी़ उन्होंने कहा कि 1996 में बिहार के समय झामुमो ने उद्योगपतियों को जमीन देने के लिए इसमें संशोधन किया था़ उस समय झामुमो सरकार में थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई राजनीतिक दल व स्वयंसेवी संगठनों ने अपनी आपत्ति राज्यपाल को बतायी़ हमने भी पार्टी के अंदर व बाहर गहन चिंतन किया़ विधायकों से भी बात की़ राष्ट्र विरोधी शक्तियों ने लोगों को कन्फ्यूज किया़ मुख्यमंत्री ने झामुमो पर निशाना साधा, तो झामुमो के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया़ शोर-शराबा देख स्पीकर दिनेश उरांव ने कार्यवाही स्थगित कर दी़ विपक्षी विधायकों को आपत्ति थी कि मुख्यमंत्री किसे राष्ट्र विरोधी कह रहे है़ं स्टीफन मरांडी ने कहा कि बतायें कौन राष्ट्र विरोधी है. सुखदेव भगत का कहना था कि मैं सरकार को चुनौती देता हूं कि वह सीएनटी-एसपीटी के एक-एक बिंदु पर बहस कर ले.