Advertisement
झारखंड विधानसभा: मॉनसून सत्र का दूसरा दिन, विपक्ष ने दिखाये तेवर पहली पाली में हंगामा, दूसरी में काम नहीं
रांची: मॉनसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन की कार्यवाही नहीं चली. पहली पाली में झामुमो ने भूमि अधिग्रहण कानून में किये गये बदलाव को लेकर हो-हंगामा किया. झामुमो विधायक वेल में घुसे और नारेबाजी की. स्पीकर दिनेश उरांव के बार-बार आग्रह के बाद भी झामुमो विधायक मानने के लिए तैयार नहीं थे. स्पीकर ने […]
रांची: मॉनसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन की कार्यवाही नहीं चली. पहली पाली में झामुमो ने भूमि अधिग्रहण कानून में किये गये बदलाव को लेकर हो-हंगामा किया. झामुमो विधायक वेल में घुसे और नारेबाजी की. स्पीकर दिनेश उरांव के बार-बार आग्रह के बाद भी झामुमो विधायक मानने के लिए तैयार नहीं थे. स्पीकर ने कहा कि हम राज्य की जनता के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं. प्रश्नकाल चलने दें. हल्ला कर हाउस को चलने नहीं देंगे, तो अासन को कठोर कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा.
हालांकि, झामुमो के विधायक मानने के लिए तैयार नहीं थे. हंगामा, अव्यवस्था से नाराज स्पीकर ने 16 मिनट में ही कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. उधर, दूसरी पाली में हाउस के पास बिजनैश नहीं था. कामकाज नहीं रहने के कारण दूसरी पाली पहले से स्थगित थी. इधर पहली पाली में 12 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू हुई, तो स्पीकर ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों से सत्र सुचारु चलाने के लिए विचार जानना चाहा. पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने सदन कैसे चले, इसको लेकर भाषण दिये.
जनता ने उम्मीद के साथ भेजा है हमें सदन में: गीता कोड़ा
विधायक गीता कोड़ा ने कहा कि जनता ने हमें उम्मीद के साथ विधानसभा भेजा है. जनता जानना चाहती है कि उनके क्षेत्र के क्या सवाल आ रहे हैं. उस पर सरकार का क्या जवाब है. जनता हमसे कहती है कि क्षेत्र में सड़क नहीं बन रही, सवाल करिये. सत्र में हम सवाल नहीं कर पा रहे हैं. हमारे क्षेत्र में कंतोड़िया नाम की जगह है. वहां बोरिंग के पानी में कीड़े आर रहे हैं. ऐसी समस्याआें का हल होना चाहिए. सदन में हम चर्चा करें. खुलेमन से चर्चा करें.
सदन को सरकार ने हाइजैक कर लिया कर रहे हस्तक्षेप : हेमंत
चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन की गरिमा बनाये रखना पक्ष-विपक्ष दोनों की जिम्मेवारी है. सदन में सरकार का हस्तक्षेप चलता है. सदन को सरकार ने हाइजैक कर लिया है. सदन हो या सरकार विपक्ष के लिए तो एक हो गया है. श्री सोरेन ने कहा कि पहली बार विधायक सस्पेंड कर दिये गये. विधायकों को समिति में जगह नहीं मिलती है. सदन आहूत करने की तिथियां बदली जाती है. विधेयक रखे जाते हैं, प्रवर समिति में जाती है, फिर सरकार वापस भी ले लेती है. संवेदनशील विषयों पर सरकार संवेदनहीनता के साथ काम कर रही है. सरकार संशोधन करती है, लेकिन उससे असर का आकलन नहीं करती है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन राज्य की भावना के विपरीत, जनाक्रोश के बाद भी विधेयक स्वीकृत कर दिया गया. अब चोरी-छिपे जमीन अधिग्रहण कानून-2013 में संशोधन किया जा रहा है. केंद्र सरकार इस कानून में किसानों, राजनीतिक दलों के विरोध पर संशोधन नहीं कर पायी. श्री सोरेन ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी संशोधन रद्द करें. आंदोलन के दौरान दायर मुकदमे वापस हो. भूमि अधिग्रहण, धर्मांतरण बिल और स्थानीय नीति वापस लें, तभी विरोध रुकेगा.
पक्ष-विपक्ष की जिम्मेवारी है सदन चले : राधाकृष्ण किशोर
सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि सदन जनता के लिए है. विगत तीन सत्र से विपक्ष की हठधर्मिता के कारण सदन नहीं चल रहा. पक्ष-विपक्ष की जिम्मेवारी है कि सदन चले. कोई विषय कार्यसूची में नहीं है, उसको लेकर सदन बाधित करना उचित नहीं है. वह विषय जब आये, तो विपक्ष अपनी बातें रखें. उस पर सार्थक चर्चा करे. विधानसभा में बहुत ही खराब स्थिति पैदा की जा रही है. विधायक समिति में नहीं है, इसके लिए सदन बाधित करेंगे. विपक्ष सुझाव दे, सरकार समझेगी तो जनहित में फैसला करेगी. चार-पांच ऐसे राज्य है, जहां भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन हुए है. सी-सैट का भी मामला था, तो सरकार ने उसे समाप्त किया. आपने गलती की थी, लेकिन सरकार ने उसमें सुधार किया. सरकार जहां आवश्यकता समझेगी आत्मसात करेगी. सदन की प्रतिष्ठा धूमिल न हो.
बिना बहस के विधेयक पारित कर रही है सरकार : अरूप
मासस विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि पिछले ढाई वर्ष में सरकार कई विधेयक पारित कर चुकी है. कुछ ऐसे कानून बनाये, जिसका पूरे राज्य में विरोध हुआ. पूरा राज्य आंदोलन करता रहा. जबरन बिल पास कराया गया. बिना बहस के हो-हल्ला के बीच थोक भाव में विधेयक पारित किये गये. सीएनटी-एसपीटी में एक वर्ष तक आंदोलन होता रहा. भूमि अधिग्रहण बिल, धर्मांतरण बिल लाया जा रहा है. बहुमत होने के कारण बिल पास करा लिया जाता है. विपक्ष को बहस करने से कोई परहेज नहीं है. बहस होती, तो फायदा होता. बहस से चीजें सामने आयेंगी. सदन जनता के लिए है. यहां जनता का काम होना चाहिए.
जेेपीएससी ने दी 20 अधिकारियों की बर्खास्तगी पर सहमति
रांची. झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने राज्य सरकार की अनुशंसा के आलोक में 20 अधिकारियों को बर्खास्त करने के प्रस्ताव पर सहमति दी. आयोग की ओर से संविधान के अनुच्छेद 323 (2) के अनुपालन में पेश किया गये वार्षिक प्रतिवेदन में इस बात का उल्लेख किया गया है. जेपीएससी की ओर से विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2015-16 की अवधि में किये गये कार्यों का ब्योरा पेश किया गया है. साथ ही आयोग के कर्तव्यों और किये गये कार्यों की जानकारी दी गयी है. प्रतिवेदन में कहा गया है कि आयोग ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग की अनुशंसा पर राज्य प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों की बर्खास्तगी के प्रस्ताव पर सहमति दी. छह अधिकारियों की पेंशन में कटौती पर सहमति दी. वन पर्यावरण के प्रस्ताव पर सहायक वन संरक्षक स्तर के एक अधिकारी की पेंशन कटौती पर सहमति दी. जल संसाधन विभाग के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद पांच सहायक अभियंता को बर्खास्त करने के प्रस्ताव पर सहमति दी. वाणिज्यकर विभाग के प्रस्ताव पर दो अधिकारियों के पदावनत (डिमोशन) करने की सहमति दी. स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर 12 डॉक्टरों को बर्खास्त करने और कृषि विभाग के प्रस्ताव पर संयुक्त कृषि निदेशक की पेंशन में कटौती पर सहमति दी.
बड़े दलों को कष्ट नहीं है, छोटे दलों की भावना समझें : भानु
भानु प्रताप शाही ने कहा कि तीन सत्र से सदन नहीं चल रहा है. जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. बड़े दलों को कष्ट नहीं है. छोटे दल जो अपने व्यक्तित्व से जीत कर आते है, अपने दम पर आये हैं, उनकी भी भावना का ख्याल रखें. मेरे 42 प्रश्न थे. एक भी प्रश्न नहीं पूछ पाया. जनता का काम नहीं हो रहा है. प्रश्न नहीं आ रहे हैं, तो सरकार को छूट मिल जा रही है. पदाधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है. प्रश्नकाल हर हाल में चले. सभी के विचारों का आदर सम्मान होना चाहिए. सदन में काम नहीं हो रहा है, हम जनता के बीच जाने में घबरा रहे हैं. सदन में बुद्धि से बुद्धि की लड़ाई होनी चाहिए.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement