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जनता में आक्रोश, नहीं किया जाये सीएनटी में संशोधन

रांची: सीएनटी-एसपीटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन पर गांव से लेकर शहर तक राज्य की जनता में सरकार के प्रति तीव्र आक्रोश और अविश्वास का वातावरण बन गया है. ऐसी परिस्थिति में उक्त अधिनियम में किसी भी प्रकार का संशोधन राज्य के हित में नहीं है. टीएसी की गुरुवार को हुई बैठक में इसके सदस्यों ने […]

रांची: सीएनटी-एसपीटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन पर गांव से लेकर शहर तक राज्य की जनता में सरकार के प्रति तीव्र आक्रोश और अविश्वास का वातावरण बन गया है. ऐसी परिस्थिति में उक्त अधिनियम में किसी भी प्रकार का संशोधन राज्य के हित में नहीं है. टीएसी की गुरुवार को हुई बैठक में इसके सदस्यों ने ही यह बातें लिखित रूप से टीएसी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपी.
मुख्यमंत्री को सौंपी गयी प्रति में ताला मरांडी, लक्ष्मण टुडू, विमला प्रधान, हरिकृष्ण सिंह, शिवशंकर उरांव, मेनका सरदार व गंगोत्री कुजूर ने हस्ताक्षर भी किया है. इसमें सदस्यों ने कहा है कि अधिनियम में किये जा रहे संशोधन के सकारात्मक पहलुओं के प्रति जनजाति समुदाय के लोगों में व्यापक जनजागृति लाने अथवा उनमें संशोधन की आवश्यकता को स्वीकार करने की व्यापक अनुकूल जन मानसिकता बनने तक संशोधन प्रस्ताव को स्थगित रखा जाये. अद्यतन यही राज्यहित, जनजाति हित एवं लोकहित में अपरिहार्य है.
ताला मरांडी कहने लगे प्रस्ताव वापस ले सरकार
बैठक आरंभ होते ही टीएसी के सदस्य ताला मरांडी हाथों में पत्र की प्रति लेकर कहने लगे… सीएनटी-एसपीटी में किसी प्रकार का संशोधन मंजूर नहीं है. सरकार संशोधन प्रस्ताव को वापस ले. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उन्हें शांत कराया और बैठ कर एक-एक कर अपनी बात कहने का निर्देश दिया. इसके बाद श्री मरांडी ने पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री को सौंप दी और कहा कि हम सभी सदस्यों की यही राय है और सरकार को भी यही करना चाहिए.
क्या लिखा है पत्र में
पत्र में लिखा गया है कि छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम 1908 की धारा 49(1) एवं धारा-71(क) में संशोधन का प्रस्ताव झारखंड राय जनजाति परामर्शदातृ परिषद के सम्मुख विचार-विमर्श के लिए प्रस्तुत किया गया है. संशोधन प्रस्ताव का मसौदा सभी सदस्यों को विगत 21 जुलाई 2017 को प्रेषित कर दिया गया था. इस विषय पर विगत बैठक तीन जुलाई 2017 से लेकर अबतक लगातार विधि विशेषज्ञों, जनजाति सामाजिक संगठनों के साथ-साथ जनजाति परामर्शदातृ परिषद के माननीय सदस्यों के बीच आपस में गहन विचार-विमर्श कर एवं आम जनता के बीच इस संशोधन के प्रति व्यापक रूप से परखने का अवसर भी प्राप्त हुआ. पत्र में इसके बाद कहा गया कि जनता में आक्रोश है. अत: राज्य की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम सभी सदस्यों का आग्रह के साथ निर्णय है कि छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम 1908 की उक्त धाराओं में संशोधन प्रस्ताव पर आज की बैठक में कोई विचार-विमर्श अथवा परिचर्चा नहीं की जाये और जनजाति परिषद की बैठक को स्थगित किया जाये.

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