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कैंसर भी जिनके हौसले को नहीं दे सका मात

रांची: कैंसर को मात देकर हिंदी और मैथिली की लेखिका विभा रानी ने देश-विदेश में अपनी पहचान बनायी है़ कैंसर पीड़ित की मदद से लेकर लंदन में गाली गीत शो कर चुकी हैं. वह बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली हैं. माता-पिता शिक्षक थे, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान लेखन में बनायी़ फिल्म, थिएटर, गाली […]

रांची: कैंसर को मात देकर हिंदी और मैथिली की लेखिका विभा रानी ने देश-विदेश में अपनी पहचान बनायी है़ कैंसर पीड़ित की मदद से लेकर लंदन में गाली गीत शो कर चुकी हैं. वह बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली हैं. माता-पिता शिक्षक थे, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान लेखन में बनायी़ फिल्म, थिएटर, गाली गीत, लोक गीत, रूम थियेटर से भी जुड़ी रहीं. रविवार को प्रभात खबर के संवाददाता से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने अनुभव साझा किये. उनका लेखन 1981 में शुरू हुआ़ इसके बाद से यह सिलसिला कभी नहीं थमा. कहती हैं कि जिंदगी के हर पल को जीना चाहिए़ कैंसर के बाद मैंने जीवन को इंज्वाय किया है़ मालूम नहीं अगला पल क्या और कैसा हो़ कैंसर के बाद चार से पांच चीजों पर काम करने लगी़ हिंदी-मैथली में लिखना, रूम थियेटर आदि. झारखंड सरकार सहयोग करे, तो यहां भी शो किये जायेंगे़.
10 महीने चला इलाज
विभा रानी ने कहा कि 2013 में जब कैंसर की रिपोर्ट पॉजिटीव आयी, तो लगा कि सारी दुनिया सिमट गयी़ घर वाले रोने लगे, लेकिन मैंने उन्हें हौसला दिया़ डॉक्टर के परामर्श पर इलाज करवाना शुरू किया. 10 महीने तक इलाज चला़ किमो थेरेपी के कारण बाल गिरने लगे, लेकिन मैंने कभी बीमारी को अपने काम के बीच में आने नहीं दिया़ बीमारी के दौरान भी कई कविता लिखती रही़ इलाज के दौरान रविवार को रूम थियेटर करती़ सोमवार को किमो के लिए अस्पताल जाया करती.
कैंसर अभियान से मरीज की मदद : बीमारी ठीक होने के बाद कैंसर पीड़ित के इलाज के बारे में सोचा़ इस दौरान फेसबुक पर सेलेब्रेटिंग कैंसर की शुरुआत की, जिससे लोग जुड़ते चले गये़ इस तरह से कैंसर अभियान का रूप लेते हुए कविता संग्रह समरथ निकला़ इस किताब की बिक्री से आनेवाली राशि का उपयोग कैंसर मरीजों के इलाज पर किया जाता है़ इसके अलावा नाटक शो, कविता पाठ, रूम थियेटर के माध्यम से भी यह अभियान जारी है़.
किसी बीमारी से शर्मिंदा न हों : कोई बीमारी होने पर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है़ मरीज को खुद काे समझने की जरूरत है़ अपनी बात घर वालों को बताये़ं डॉक्टर से संपर्क करें. किसी चीज को इग्नोर नहीं करना चाहिए़ मेरा मानना है कि स्वार्थ पर जिंदगी जहां टिकी हो, वहां से निकल जाना चाहिए, ताकि सुकून का जीवन जिया जा सके़ हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीना सीखे़ं

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