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झारखंड के बेतला टाइगर रिजर्व में 25 साल में 55 में से 51 बाघ हो गये गायब
रांची : पलामू टाइगर प्रोजेक्ट (बेतला) में फिलहाल केवल चार बाघों के होने की पुष्टि की गयी है, जबकि राज्य में बाघों के संरक्षण पर खर्च होने वाली राशि बढ़ रही है. राज्य में पिछले 10-12 वर्षों में 50 करोड़ से अधिक राशि बाघों के संरक्षण पर खर्च हो चुकी है. आंकड़े बताते हैं कि […]
रांची : पलामू टाइगर प्रोजेक्ट (बेतला) में फिलहाल केवल चार बाघों के होने की पुष्टि की गयी है, जबकि राज्य में बाघों के संरक्षण पर खर्च होने वाली राशि बढ़ रही है. राज्य में पिछले 10-12 वर्षों में 50 करोड़ से अधिक राशि बाघों के संरक्षण पर खर्च हो चुकी है. आंकड़े बताते हैं कि 1992 में बेतला में 55 बाघ थे. 2003 में इसकी संख्या 36 से 38 हो गयी थी. पिछले 10 साल में करीब 30 बाघ गायब हो गये. ज्ञात हो कि पूरे देश में 29 जुलाई को ब्याघ्र दिवस (वर्ल्ड टाइगर डे) के रूप में मनाया जाता है.
बेतला राज्य का एक मात्र टाइगर रिजर्व है. यह करीब 779.27 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है. चालू वित्तीय वर्ष में टाइगर प्रोजेक्ट पर सरकार ने योजना के तहत सात करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. वन विभाग ने राज्य में बाघों की संख्या 2022 तक 14 करने का लक्ष्य रखा है. विभाग ने बाघों की संख्या बढ़ाने में सहयोग करने के लिए रिजर्व एरिया में रह रहे 30 हजार ग्रामीणों की आदमनी पांच हजार रुपये प्रतिमाह करने का संकल्प भी लिया है.
2010 से मनाया जा रहा वर्ल्ड टाइगर डे : पूरे विश्व में 2010 से वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जा रहा है. 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित सम्मेलन में पूरा विश्व 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाने पर सहमत हुआ था. इसी दौरान पूरे विश्व में 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य सभी देशों को दिया गया था.
राज्य के मुख्य वन्य प्रतिपालक एलआर सिंह से सवाल-जवाब
राज्य में बाघों की संख्या इतनी कम क्यों है?
पूर्व में बाघों की संख्या पता करने के लिए काफी कम स्कैट (मल) भेजे गये थे. इस कारण अब तक चार बाघों के पलामू टाइगर रिजर्व में होने की सूचना है. अच्छी तरह जांच हो, तो बाघों की संख्या और बढ़ सकती है.
बाघों को बचाने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
बाघों को बचाने के लिए काफी प्रयास हो रहे हैं. मुख्य रूप से बेतला में पानी संकट को दूर किया जा रहा है. ज्यादा से ज्यादा ग्रास लैंड विकसित किया जा रहा है. लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है. उम्मीद है इसके अच्छे नतीजे आयेंगे. अगली बार निश्चित तौर पर बाघों की संख्या बढ़ेगी.
इस तरह का दावा क्यों हो रहा है?
अगले साल बाघों की गिनती होगी. कोशिश होगी कि पूरे जंगल में जांच हो. इसके लिए वैज्ञानिक तरीके भी अपनाये जायेंगे. कैमरा भी लगाया जायेगा. स्कैट की भी जांच करायी जायेगी.
राज्य में और कहीं बाघ होने की सूचना है क्या ?
एक बाघ कुछ दिनों पहले दलमा में दिखा था. यह भटक कर आ गया था. वह वापस ओड़िशा की ओर चला गया है. इसके अतिरिक्त और कहीं बाघ के होने की सूचना नहीं है.
30 स्कैट ही भेजे गये थे पिछली गणना में
झारखंड में बाघों की सही संख्या पता करने के लिए अधिकारी भी चिंतित नहीं हैं. पिछली बार (2015 में) झारखंड में बाघों की गिनती हुई थी. इस वक्त झारखंड से मात्र 30 स्कैट ही भेजे गये थे. इसमें चार बाघों के होने की पुष्टि हुई थी. 30 स्कैट में 21 का एनालिसिल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने किया था. इसमें नौ स्कैट बाघों के थे. इसमें कुछ स्कैट एक तरह के थे. चार स्कैट का डीएनए अलग-अलग था. सात स्कैट का रिजल्ट अब तक नहीं आया है. पांच स्कैट तेंदुआ के थे.
राज्यों में बाघों की स्थिति (2015 की गणना के अनुसार)
राज्य संख्या
उत्तराखंड 340
उत्तर प्रदेश 117
बिहार 28
आंध्र प्रदेश 68
छत्तीसगढ़ 46
मध्य प्रदेश 308
महाराष्ट्र 190
ओड़िशा 28
राजस्थान 45
कर्नाटक 13
केरल 136
तमिलनाडु 229
गोवा पांच
असम 167
अरुणाचल प्रदेश 28
मिजोरम तीन
प बंगाल तीन
झारखंड चार
अन्य 226
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