रांची: कोयला मजदूरों के वेतन और अन्य सुविधाओं पर समझौते के लिए गठित ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ) शुक्रवार को कोलकाता में शुरू हुई. दो दिनी बैठक के पहले दिन कोल इंडिया प्रबंधन ने मजदूर यूनियनों को बताया कि पीएफ और रिटायरकर्मियों को मेडिकल सुविधा देने के मुद्दे पर हुए सैद्धांतिक समझौते से […]
रांची: कोयला मजदूरों के वेतन और अन्य सुविधाओं पर समझौते के लिए गठित ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ) शुक्रवार को कोलकाता में शुरू हुई. दो दिनी बैठक के पहले दिन कोल इंडिया प्रबंधन ने मजदूर यूनियनों को बताया कि पीएफ और रिटायरकर्मियों को मेडिकल सुविधा देने के मुद्दे पर हुए सैद्धांतिक समझौते से कंपनी पर करीब एक हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. प्रबंधन ने बताया कि कंपनी अभी तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक देने की स्थिति में नहीं है.
एक हजार करोड़ रुपये हटा दिया जाये, तो दो हजार करोड़ रुपये मूल वेतन में बांटा जा सकता है. तीन हजार करोड़ रुपये देने की स्थित में सात फीसदी की वेतन वृद्धि होगी. 4000 हजार करोड़ देने की स्थित में 10.05, 4500 करोड़ देने पर 12.04 तथा पांच हजार करोड़ देने पर 14 फीसदी की वृद्धि होगी. पांच हजार करोड़ रुपये तभी कंपनी खर्च पायेगी जब अन्य सुविधाओं में कटौती करनी होगी.
इसमें कोल इंडिया की 35 खदानों को बंद करना भी शामिल है. बंद करने वाले खदानों के कर्मियों को वीआरएस दे दिया जायेगा. संडे ओर ओवर टाइम की सुविधा बंद कर दी जायेगी. अन्य सुविधाओं में भी कटौती की जायेगी.
प्रबंधन के तर्क का यूनियनों ने किया विरोध
प्रबंधन के इस तर्क का यूनियनों ने विरोध किया. यूनियनों ने कहा कि पिछली बार 25 फीसदी और अतिरिक्त चार फीसदी की वृद्धि हुई थी. प्रबंधन कम से कम 22 फीसदी से लेकर 25 फीसदी वृद्धि तक का आंकड़ा बताये. यूनियन ने कैटगरी-1 मजदूरों को मिलने वाली वेतन और सुविधा की जो जानकारी दी, उस पर यूनियनों की आपत्ति थी. उनका कहना था कि यह ठीक नहीं है. शनिवार को 11 बजे से फिर बैठक होगी.