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डेढ़ साल में भी नहीं बनी छह शहरों में पुलिसिंग व अनुसंधान की अलग ‌व्यवस्था

रांची: डेढ़ साल पहले सरकार ने राज्य के छह शहरों में पुलिसिंग और अनुसंधान के लिए अलग-अलग व्यवस्था करने की बात कही थी. पुलिस पर बढ़ते काम के दबाव को कम करने के लिए ऐसी बात कही गयी थी. हालांकि आज तक किसी भी शहर में इस काम को पूरा नहीं किया गया. जनवरी 2016 […]

रांची: डेढ़ साल पहले सरकार ने राज्य के छह शहरों में पुलिसिंग और अनुसंधान के लिए अलग-अलग व्यवस्था करने की बात कही थी. पुलिस पर बढ़ते काम के दबाव को कम करने के लिए ऐसी बात कही गयी थी. हालांकि आज तक किसी भी शहर में इस काम को पूरा नहीं किया गया.

जनवरी 2016 में पुलिस मुख्यालय के अधिकारी यह समीक्षा करने में जुटे थे कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कितने पुलिस पदाधिकारी व जवानों की जरूरत होगी. व्यवस्था किस तरह से लागू की जायेगी. जिन जिलों में इस व्यवस्था को लागू करने पर विचार किया गया था, उनमें रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, देवघर व हजारीबाग जिले शामिल थे. इस व्यवस्था के लागू होने पर इन शहरों में दो तरह की पुलिस होती. एक तरह पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने का काम करती.

10 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

प्रकाश सिंह बनाम राज्यों की सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दस साल पहले पुलिस को दो भागों में बांटने का आदेश दिया था. पुलिस सुधार के लिए इस व्यवस्था को लागू करने के लिए राज्यों की सरकार को निर्देश दिया गया था. वर्ष 2010 में भी सरकार ने इस सिलसिले में आदेश जारी किया था, लेकिन तब की सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखायी थी. वर्तमान सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने में दिलचस्पी दिखायी थी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि पुलिस को दो भाग में बांटने के लिए प्रस्ताव तैयार करें.

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